UPSC की तैयारी करने से पहले इसे जुड़े myths के बारे में आप भी लीजिए जान, तैयारी हो जाएगी आसान

नई दिल्ली. यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास करना, आईएएस और आईपीएस बनने का सपना हर कोई देखता है. इसी सपनों को लेकर हर साल लाखों उम्मीदवार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेते हैं. कुछ परीक्षार्थी परीक्षा में सफल हो जाते हैं तो कुछ अगले साल की तैयारी में जुड़े जाते हैं. अपने देश में यूपीएससी परीक्षा की लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही जाती हैं. इस परीक्षा से जुड़े कई मिथ्य और भम्र समाज में प्रचलित है. यही कारण कि बड़ी संख्या में छात्र इस परीक्षा की तैयारी तो दूर इसमें भाग लेने से भी डरते हैं. आइये जानते हैं यूपीएससी परीक्षा की तैयारी से जुड़े मिथ्यों के बारे में.



सबसे कठिन परीक्षा

वास्तव में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में जितने उम्मीदवार भाग लेना चाहते हैं, उतने भाग नहीं लेते हैं. इसके पीछे है उनका डर. लोग मानते हैं कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी उसे ही करना चाहिए जिसे सब कुछ आता हो, जो हद से ज्यादा इंटेलीजेंट हो. लोगों को यह समझाया जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम की कोई सीमा नहीं है और इसे हल करना सबसे कठिन है. इसमें ऑब्जेक्टिव, सब्जेक्टिव और पर्सनैलिटी स्तरों पर परीक्षण होता है. इस परीक्षा में ऐसे प्रश्न होते हैं, जो आईआईटी, नेट परीक्षा या अन्य किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में नहीं पूछे जाते.

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देश से विदेश की नॉलेज

यूपीएससी आईएएस की परीक्षा का सिलेबस वास्ट है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इसका कोई ओर-छोर नहीं होता है. इसका यह भी मतलब नहीं कि आप चलते-फिरते encyclopedia बन जाएं. दरअसल इस परीक्षा का मूल मंत्र है जो भी सीखें, जो भी पढ़ें उसका बेसिक और गहराई तक अध्ययन करें. इस परीक्षा में जनरल इंटेलीजेंस, जनरल नॉलेज आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं.

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किस्मत की बात

लाइफ में भाग्य और किस्मत को झूठलाया नहीं जा सकता है. हर जगह भाग्य काम करता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसके लिए मेहनत न की जाए. कहा जाता है कि भाग्य भी उनके लिए काम करता है तो भाग्य के लिए काम करते हैं.य यानी अपनी लगन और मेहनत से भाग को बदलने का सामर्थ्य रखते हैं. रणनीति, कड़ी मेहनत से भाग्य को हराया जा सकता है.

अंग्रेजी पर पकड़

अंग्रेजी पर मजूबत पकड़, यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा के सच से बहुत दूर है. यूपीएससी को भी किसी भी अन्य विश्वसनीय और प्रामाणिक निकाय की तरह स्पष्टता, सरलता और प्रभावशाली लोग चाहिए. भारत में सभी बेसिक अंग्रेजी बोल लेते हैं. अंग्रेजी का भाषा के रूप में पकड़ होना चाहिए लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इससे आपकी योग्यता आंकी जाती है. प्रारंभिक परीक्षा में इतनी अधिक अंग्रेजी की वश्यकता नहीं हो सकती है, क्योंकि बहुविकल्पीय प्रश्नों में सही कोड पर टिक करना होता है. सीएसएटी में कुछ अंग्रेजी की आवश्यकता है. हालांकि पर्सनैलिटी टेस्ट व इंटरव्यू में आपका कौशल ही काम आता है

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