नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते वित्त वर्ष (2022-23) में 8 बैंकों का लाइसेंस रद्द करने के साथ ही 114 बैंकों पर भारी जुर्माना लगाया. इसमें कई को-ऑपरेटिव यानी सहकारी बैंकों पर बड़ी कार्रवाई की गई है. आरबीआई ने नियमों का पालन नहीं किए जाने के कारण इन बैंकों के खिलाफ कदम उठाया है. बता दें कि सहकारी बैंक देश के ग्रामीण क्षेत्र और नगरी क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के लिए बनाए जाते हैं. खबरों के अनुसार, पिछले कुछ समय से ये बैंक आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं.
जिन आठ बैंकों पर कार्रवाई हुई है उनके नाम इस प्रकार हैं- मुधोल सहकारी बैंक, मिल्लथ सहकारी बैंक, रुपी सहकारी बैंक, डेक्कन सहकारी बैंक, लक्ष्मी सहकारी बैंक और बाबाजी दाते महिला शहरी बैंक. आरबीआई के मुताबिक, इन बैंकों को पर्याप्त पूंजी की कमी, रेगुलेटर एक्ट के तहत कानूनी नियमों के पालन करने में विफलता और भविष्य में कमाई की संभावना के कमी के कारण इन बैंकों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. वित्त वर्ष 22 में आरबीआई ने इसी तरह 12 बैंकों का लाइसेंस रद्द किया था. उससे पिछले 2 वर्षों में 5 बैकों का लाइसेंस रद्द किया गया था.
जुर्माना भी लगाया गया
आरबीआई ने करीब 114 बैंकों पर जुर्माना भी लगाया था. बैंकों पर पहले जुर्माना लगाकर चेतावनी दी जाती है. बैंक अगर उसके बाद नियमों का पालन करने में असफल होते हैं तो उनका लाइसेंस रद्द होता है. आरबीआई ने 114 बैंकों पर 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया था. संभव है कि इन 8 बैंकों ने जुर्माना भरने के बाद भी अपनी परिचालन गतिविधियों में सधार नहीं किया होगा.
बैंक में जमा पैसों का क्या होगा
हर बैंक के पास किसी आपातकालीन स्थिति के लिए पैसों का बीमा होता है. यह भी आरबीआई के नियमों के तहत होता है. अगर किसी बैंक का लाइसेंस रद्द हो जाता है. वहां के ग्राहक 5 लाख रुपये तक की राशि बैंक से वापस ले सकते हैं. अगर किसी की राशि इससे अधिक है तो फिर पैसा निकालना काफी मुश्किल है. वहीं, जुर्माना लगने से बैंक के ग्राहकों पर कोई असर नहीं होता है और वह आम दिन की तरह बैंक से पैसा निकाल व जमा कर सकते हैं.