Success Story: एक छोटी सी लड़की ने फ्रूटी को बना दिया 8,000 करोड़ का ब्रांड, कैसे मिली सफलता…

आपने कभी न कभी फ्रूटी जरूर पी होगी। इसे बनाने वाली कंपनी पारले एग्रो (Parle Agro) देश की प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों में से एक है। कोका कोला (Coca Cola) और पेप्सी (Pepsi) जैसी दिग्गज मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच फ्रूटी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। फ्रूटी को मार्केट लीडर बनाने का श्रेय पारले एग्रो की चीफ मार्केटिंग ऑफिसर और ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर नादिया चौहान को जाता है। जब वह 2003 में इस कंपनी से जुड़ी थी तो यह 300 करोड़ रुपये की कंपनी थी। आज पारले एग्रो 8,000 करोड़ रुपये की कंपनी है। पारले एग्री ने फ्रूटी के अलावा एप्पल ड्रिंक Appy Fizz और पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर Bailley के जरिए भी मार्केट में अपना अलग मुकाम बनाया है।



 

 

 

पारले ग्रुप की शुरुआत 1929 में मोहनलाल चौहान ने मुंबई के विले पारले में की थी। शुरुआत में कंपनी ब्रेड, बन, रस्क टोस्ट जैसे बेकरी प्रॉडक्ट बनाती थी। 10 साल बाद कंपनी ने बिस्कुट बनाने का काम शुरू किया। उन्हें केवल ब्रिटिश आर्मी को सप्लाई करने का लाइसेंस मिला था। देश के आजाद होने के बाद कंपनी ने पारले-जी बिस्कुट बेचना शुरू किया। 1977 में कोका कोला के देश से जाने के बाद पारले ग्रुप ने गोल्ड स्पॉट, थम्स अप और लिम्का को बाजार में उतारा। मोहनलाल चौहान के पांच बेटे थे। सबसे छोटे बेटे जयंतीलाल चौहान ने पारले एग्रो की शुरुआत की। उनके भाई रमेश चौहान ने बिसलेरी ब्रांड के साथ पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर में कदम रखा।

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नादिया की एंट्री
फ्रूटी को 1984 में लॉन्च किया गया। लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया। पारले एग्रो देश में टेट्रा पैक लाने वाली पहली कंपनी थी। 2003 तक पारले एग्रो 300 करोड़ रुपये की कंपनी बन चुकी थी। साल 2003 में कंपनी के चेयरमैन प्रकाश जयंतीलाल चौहान की बेटी नादिया चौहान ने कंपनी की मार्केटिंग की जिम्मेदारी संभाली। उस समय उनकी उम्र मात्र 17 साल थी। नादिया का जन्म कैलिफोर्निया में हुआ था और वह मुंबई में पली-बढ़ीं हैं। उन्होंने कॉमर्स की पढ़ाई की। नादिया चौहान को बचपन से ही उनके पिता ने बिजनस के लिए तैयार किया था। वह 11 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ फैक्ट्री और ऑफिस में जाया करती थी और वहीं से उनकी बिजनस में दिलचस्पी बढ़ने लगी।

 

 

 

मार्केटिंग की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने सबसे पहले फ्रूटी की पैकेजिंग बदली। उस समय फ्रूटी हरे रंग के पैकेट में आती थी जबकि आम का रंग पीला होता है। उसके बाद से सभी कंपनियों के मैंगो ड्रिंक पीले पैकेट में आने लगे। साल 2004 में नादिया चौहान ने एक और बड़ा फैसला लिया। उन्होंने फ्रूटी का छोटा समोसा पैक लॉन्च किया। यह खासकर ग्रामीण इलाकों में काफी हिट रहा। इसकी कीमत मात्र 2.5 रुपये थी। इससे कंपनी की सेल में काफी इजाफा हुआ। पहले फ्रूटी बच्चों की ड्रिंक मानी जाती थी लेकिन नादिया चौहान ने इसे हर वर्ग की ड्रिंक बना दिया। उन्होंने शाहरूख खान से लेकर आलिया भट्ट और अल्लू अर्जुन को ब्रांड एंबेसेडर बनाया।

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कैसे फैलाया बिजनस
साथ ही नादिया ने फ्रूटी पर कंपनी की निर्भरता कम करने में अहम भूमिका निभाई। कंपनी का 95% रेवेन्यू फ्रूटी से आता था। इस पर निर्भरता कम करने के लिए कंपनी ने एप्पल ड्रिंक Appy Fizz मार्केट में उतारा। इसकी अलग से मार्केटिंग और डिजाइनिंग की गई। सलमान खान को इसका ब्रांड एंबेसेडर बनाया गया। बाजार में इसका कोई कंप्टीटर नहीं था, इसलिए कंपनी का यह प्रॉडक्ट भी हिट हो गया। इसके बाद कंपनी ने Bailley नाम से पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर मार्केट में उतारा। इसकी सेल 1,000 करोड़ रुपये की है।
अब पार्ले एग्रो की कुल सेल में फ्रूटी का हिस्सा घटकर 48 परसेंट रह गया है। आज कंपनी की सेल 8,000 करोड़ रुपये की है। इसमें से फ्रूटी की सेल 4,000 करोड़ रुपये की, Bailley की 1,000 करोड़ रुपये की और बाकी प्रॉडक्ट्स की 3,000 करोड़ रुपये की सेल है। कंपनी की डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क काफी तगड़ा है और फ्रूटी प्रॉडक्ट 20 लाख से ज्यादा दुकानों तक पहुंचता है। नादिया ने पारले एग्रो के प्रोडक्ट्स को विदेशों में भी पहुंचाया। इस तरह फ्रूटी को 300 करोड़ रुपये से 8,000 करोड़ रुपये का ब्रांड बनाने का श्रेय नादिया को जाता है। उनका मिशन 2030 तक पारले एग्रो को 20,000 करोड़ रुपये की कंपनी बनाने का है।

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