मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, राज्य के लाखों जरूरतमंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के लिए मांगी 30 हजार करोड़ रूपए की सहायता, 10 हजार करोड़ रूपए तत्काल प्रदान करने का किया अनुरोध

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्रदेश के लाखों जरूरतमंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के संचालन तथा राज्य के सामान्य काम-काज के संचालन के लिए राज्य को आगामी तीन माह में केन्द्र की ओर से कम से कम 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता देने का आग्रह किया है। श्री बघेल ने इस राशि में से 10 हजार करोड़ रूपए तत्काल जारी करने का आग्रह किया है, ताकि उद्योग, व्यवसाय, सेवा क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र को आर्थिक सहायता दी जा सके।
मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही साथ राज्य में कोविड-19 के प्रसार की नियंत्रित स्थिति को देखते हुए राज्य को आंशिक राजस्व प्राप्ति से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के संचालन की छूट तत्काल प्रदान करने का आग्रह किया है। श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि मिठाई दुकानों के संचालन की छूट दी जाए, जिससे दुग्ध उत्पादक कृषकों का दूध बिकना संभव हो सके। उन्होंने लिखा है कि संपत्तियों के क्रय-विक्रय के पंजीयन की छूट सहित वाहनों के शो रूम का संचालन एवं पंजीयन, शहरों में निर्माण कार्यों के संचालन, ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए एयर कंडिशनर, कूलर एवं फ्रिज के शो रूम के संचालन, समस्त प्रकार के रिपेयरिंग कार्य और सभी ग्रीन जिलों में सभी प्रकार के रीटेल कार्य खोलना उचित होगा। राज्य शासन की ओर से सभी व्यक्तियों के मास्क पहनने, सोशल-फिजिकल डिस्टेसिंग को सुनिश्चत करने हेतु हर संभव प्रयत्न किए जाएंगे।
श्री बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि लॉकडाउन की लंबी अवधि के कारण राजस्व प्राप्ति लगभग शून्य हो गई है। वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में राज्य को केन्द्रीय करों में से प्राप्त होने वाली राशि में भी बड़ी कमी होना निश्चित है। दूसरी ओर राज्य के 56 लाख गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों, जिनकी आय का कोई साधन नहीं बचा है, के जीवनयापन हेतु राज्य सरकार को अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता पड़ रही है।
श्री बघेल ने पत्र में कहा है कि यदि उक्त गतिविधियों के संचालन की तत्काल अनुमति नहीं दी जाती, तो राज्य के सामान्य काम-काज का संचालन संभव नहीं हो सकेगा। अनुरोध है कि राज्य की मांगों पर तत्काल स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करें।
उन्होंने लिखा है कि कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य में 21 मार्च से लॉकडाउन प्रभावी किया गया, किन्तु इसके कारण राज्य में सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियां भी लगभग ठप्प हो रही है। राज्य की आय के प्रमुख स्त्रोत खनन गतिविधियां, आबकारी, जी.एस.टी., संपत्तियों का पंजीयन, वाहनों का पंजीयन तथा वन सम्पदा इत्यादि है। भारत सरकार द्वारा 20 अप्रैल से 3 मई तक केवल अत्यावश्यक सेवाओं से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति प्रदान की गई है, जिनसे राज्य के राजस्व प्राप्ति में कोई विशेष सहायता नहीं मिलेगी। यह निश्चित है कि देश में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने में लंबा समय लगेगा। ऐसे में राज्य के लिए विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का संचालन अत्यंत कठिन होगा।
मुख्यमंत्री ने पत्र में बताया है कि राज्य में कोविड-19 के प्रकोप की स्थिति तुलनात्मक रूप से अन्य राज्यों से बेहतर है। 21 अप्रैल तक राज्य में कोविड-19 के 36 मरीज संक्रमित पाए गए थे, जिनमें से 25 व्यक्ति संक्रमण मुक्त होकर अपने घरों को जा चुके हैं तथा शेष 11 व्यक्तियों का उपचार जारी है तथा सभी की दशा सामान्य है। राज्य में प्रतिदिन लगभग 400 व्यक्तियों का टेस्ट किया जा रहा है। पिछले 5 दिनों में कोई भी नया व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित नहीं पाया गया है। राज्य के 28 जिलों में से 23 जिलों में अभी तक एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं पाया गया है, जबकि 4 जिलों जहां 8 संक्रमित मिले थे, वहां पिछले 3 सप्ताहों में कोई प्रकरण सामने नहीं आया है तथा एकमात्र जिले के 11 सक्रिय संक्रमितों का इलाज अभी जारी है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से आग्रह किया है कि राज्य को आगामी तीन माह में केन्द्र की ओर से कम से कम 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाए, जिसमें से 10 हजार करोड़ रूपए तत्काल जारी किए जाने चाहिए, ताकि उद्योग, व्यवसाय, सेवा क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र को आर्थिक सहायता दी जा सके.



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