जांजगीर-चाम्पा. जिले में 335 में 209 गोठानों का निर्माण पूरा किया जा चुका है। कलेक्टर यशवंत कुमार के मार्गदर्शन में इन गोठानों में स्वसहायता समूहों द्वारा अपने आर्थिक विकास की विभिन्न गतिविधियां प्रारंभ की जा रही है। ये गोठान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मज़बूत नींव निर्माण में अहम भूमिका का निर्वहन करेंगे।
राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सकारात्मक कोशिश कर रही है। सुराजी गांव योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना ग्रामीणो की आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राज्य सरकार ने गोबर खरीदने का निर्णय लिया है, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में खुशी और उत्साह का वातावरण है। पशु-पालक और ग्रामीण के बीच यह आम चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकार द्वारा इसके लिए दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं। सरकार की योजना के तहत सभी गावों में गौठान बनाया जा रहा है।
जिले में 335 गौठान स्वीकृत, 209 पूर्ण
जिले में 335 गौठानों की स्वीकृति दी गयी है। जिसमे से 209 गौठान पूर्ण हो चुके हैं। शेष गौठानों के कार्य प्रगतिरत है। प्रत्येक गौठान समिति का गठन किया गया है। शासन की योजना के तहत गौठान संचालन के लिए 10-10 हजार रूपये की राशि दी जा रही है। चारागाह में चारा के साथ-साथ सब्जी, भाजी, मसाला उत्पादन में महिला स्व-सहायता समूह कार्यरत हैं। इसके अलावा अच्छी गुणवत्ता का वर्मी खाद भी तैयार किया जा रहा है।
गौठान समितियों को आत्म निर्भर बनाने के लिए मशरूम उत्पादन, मछली पालन, बकरी पालन जैसे अन्य गतिविधियो के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
गोबर खाद ज्यादा उपयोगी
गोबर खाद खेती किसानी का आधार है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति निरंतर बनी रहती है। उत्पादन में वृद्धि होती है। गोबर खाद से उत्पादित अनाज में न्यूट्रिशियन आधारित गुणवत्ता भी अधिक होती है। जिसका सीधा लाभ लोगो के स्वास्थ्य पर पड़ता है। रासायनिक खाद की तुलना में जैविक खाद ज्यादा उपयोगी है। खेती के लिए ग्रामीण तकनीक से गोबर की खाद तैयार करना छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा रही है। जैविक खाद के उपयोग से खेत के पौधे मजबूत व स्वस्थ रहते हैं। राज्य सरकार द्वारा रासायनिक खाद को हतोत्साहित किया जा रहा है। रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरता नष्ट होती है। खेती किसानी की लागत भी बढ़ती है। किसानो गोबर खाद होने के बावजूद कर्ज लेकर रासायनिक खाद लेना पड़ता है।
गांव के उपलब्ध संसाधनों का दोहन एवं उपयोग
समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण में सुराजी ग्राम योजना का विशेष महत्व होगा। गांव के उपलब्ध संसाधनों का दोहन एवं उपयोग कर नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजनाओं का राज्य सरकार सफल संचालन कर रही है। गांवों में बने गौठान अब आजीविका केन्द्रों के रूप में परिवर्तित होने लगे हैं। योजना के तहत नाला संवर्धन का कार्य भी योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। इससे भू-जल स्रोत अनुकूल होगा और सिंचाई सुविधा बढ़ेगी, इसका लाभ भी खेती किसानी में मिलेगा।
अनूठा कार्यक्रम, सरकार गोबर खरीदेगी
घुरूवा के लिए राज्य सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया है। अब सरकार गोबर खरीदेगी। यह अपनी तरह का एक अनूठा कार्यक्रम है। इस योजना से गांव की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। पशुपालकों को गोबर से आमदनी होगी। सरकार अच्छी किस्म की गोबर खाद बनायेगी, जिससे कृषि उत्पादकता मे वृद्धि होगी।
फसलो की सुरक्षा के लिए गौठानों में नियंत्रित होगें मवेशी
फसलो को सुरक्षित रखने के लिए मवेशियो को गौठानों में नियंत्रित किया जा रहा है। पशुओं से फसल सुरक्षा के लिए खेत के चारो ओर से घेरा बनाना किसान के लिए अधिक खर्चीला होता है। गौठान में पशुओं को रखने से खेत को घेरने की आवश्यकता नहीं होगी। गौठान में चारा की व्यवस्था की गयी है। पशुओं की आवक से कम्पोस्ट और वर्मी खाद अधिक मात्रा में तैयार होगा।