मनरेगा के कार्यों में अधिक से अधिक श्रमिकों को दें रोजगार, जिला पंचायत सीईओ तीर्थराज अग्रवाल ने महात्मा गांधी नरेगा, गोधन न्याय योजना, एसबीएम पीएमएवाय ग्रामीण की समीक्षा बैठक ली

जांजगीर-चांपा. कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से महात्मा गांधी नरेगा से श्रमिकों को जोड़कर गांव में ही रोजगार मुहैया कराया गया था, उसी तरह से ही लगातार गांव में स्वीकृत कार्यों को शुरू करते हुए रोजगार उपलब्ध कराना है, ताकि मनरेगा से जुड़े परिवारों को शत-प्रतिशत रोजगार मिल सके।

यह बातें मंगलवार को जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल ने जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी, सहायक प्रोग्रामर एवं तकनीकी सहायकों की समीक्षा बैठक लेते हुए कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि
निर्माण कार्यो को पूर्ण गुणवत्ता के साथ किया जाए, किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समीक्षा बैठक से अनुपस्थित तकनीकी सहायकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से नया तालाब निर्माण, तालाब गहरीकरण, कच्ची नाली, निजी डबरी जैसे कार्यों में अधिक से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिलता है, इसलिए जरूरी है कि इन कार्यों को शुरू करते हुए रोजगार दिया जाए। उन्होंने कहा कि मनरेगा से स्वीकृत कच्ची नाली से खेतों तक बनाने से किसानों को रवि की फसल के लिए को पानी मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि लक्ष्य के मुताबिक सभी ग्राम पंचायतों में मजदूरी मूलक कार्यों को शुरू करते हुए कार्यों को सतत निरीक्षण किया जाए। समीक्षा बैठक में चारागाह विकास, धान संग्रहण चबूतरा, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए जा रहे सामुदायिक शौचालय, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मनरेगा मजदूरों को 90 दिवस की मजदूरी की समीक्षा की गई।



गोठान से बनाना आत्मनिर्भर
जिपं सीईओ ने बैठक में कहा कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत जिले नरवा विकास के तहत जिले में 87 नालों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने नाला निर्माण की धीमी गति पर तकनीकी सहायकों को फटकार भी लगाई। संबंधित तकनीकी सहायकों को सख्त निर्देश देते हुए मौके पर जाकर कार्यों को पूर्ण करने कहा। इस दौरान उन्होंने गोठान की समीक्षा करते हुए कहा कि गोठान बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है कि ग्रामीण, स्व सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना। गोठान में सभी की सहभागिता से विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाए, ताकि सतत रूप से आजीविका का संचालन हो सके। गोठान में बन रहे वर्मी कम्पोस्ट को पूर्ण करने के निर्देश दिए। जिपं सीईओ ने कहा कि गोठानों में गोबर की खरीदी नियमित रूप से की जानी है, ताकि स्व सहायता समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट के माध्यम से जैविक खाद तैयार कर सकें। इसके अलावा प्रत्येक जनपद पंचायत में पांच-पांच मॉडल गोठान का निर्माण किये जाने की भी उन्होंने समीक्षा की। उन्होंने गोठानों में पैरा को सुरक्षित तरीके से रखने के निर्देश बैठक में दिए।

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