जांजगीर-चांपा. जिला मजिस्ट्रेट जितेन्द्र शुक्ला ने कोरोना वायरस (कोविड-19) की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर कोरोना वायरस की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु सभी संबंधित उपाय अमल में लाये जाने के उद्देश्य से गणेशोत्सव पर्व के लिए दिशा निर्देश जारी किये गये है। उन्होंने निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है।
जारी आदेश में कहा गया है कि –
मूर्ति की ऊंचाई एवं चौड़ाई 5×5 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए
मूर्ति स्थापना वाले पंडाल का आकार 15×15 फीट से अधिक नहीं होना चाहिए।
पंडाल के सामने कम से कम 3000 वर्गफीट की खुली जगह होनी चाहिए।
पंडाल एवं सामने 3000 वर्गफीट की खुली जगह में कोई भी सड़क अथवा गली का हिस्सा प्रभावित न हो।
मुख्य मार्ग, सडक अथवा गलियों में मूर्ति स्थापित करने की अनुमति नहीं होगी। 164 मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति एक रजिस्टर संधारित करेगी जिसमें दर्शन हेतु आने वाले सभी व्यक्तियों का नाम, पता, मोबाइल नंबर दर्ज किया जायेगा ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कान्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके।
पंडाल, मंडप के सामने दर्शकों के बैठने हेतु पृथक से पंडाल न हो, दर्शकों एवं आयोजकों के बैठने हेतु कुर्सी नहीं लगाये जायेंगे। किसी भी एक समय में पंडाल और मंडप के सामने मिलाकर 20 से अधिक ब्यक्ती मौजूद न हो।
मूर्ति दर्शन अथवा पूजा में शामिल होने वाला कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के नही जायेगा। ऐसा पाये जाने पर संबंधित ब्यक्ती और समिति के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति द्वारा सैनेटाइजर थर्मल स्कीनिंग आक्सीमीटर, हैंडवाश एवं क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था की जायेगी। थर्मल स्क्रीनिंग में बुखार पाये जाने अथवा कोरोना से संबंधित कोई भी सामान्य या विशेष लक्षण पाये जाने पर पंडाल में प्रवेश नहीं देने की जिम्मेदारी समिति की होगी।
व्यक्ति अथवा समिति द्वारा फिजिकल डिस्टेसिंग आगमन एवं प्रस्थान की पृथक से व्यवस्था बांस बल्ली से बेरिकेटिंग कराकर की जायेगी।
कंटेनमेंट जोन में मूर्ति स्थापना की अनुमति नही होगी। यदि पूजा की अवधि के दौरान भी उपरोक्त क्षेत्र कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित हो जाता है तो तत्काल पूजा समाप्त करनी होगी।
मूर्ति स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय अथवा विसर्जन के पश्चात् किसी भी प्रकार के भोज, भंडारा, जगराता अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति स्थापना एवं विसर्जन के दौरान प्रसाद, चरणामृत या कोई भी खाद्य एवं पेय पदार्थ वितरण की अनुमति नहीं होगी।
मूर्ति विसर्जन के लिये एक से अधिक वाहन की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिये पिकअप, टाटाएस (छोटाहाथी) से बड़े वाहन का उपयोग प्रतिबंधित होगा।
मूर्ति विसर्जन के वाहन में किसी भी प्रकार के अतिरिक्त साज-सज्जा, झांकी की अनुमति नहीं होगी।
मूर्ति विसर्जन के लिये 04 से अधिक व्यक्ति नहीं जा सकेंगे एवं वे मूर्ति के वाहन में ही बैठेंगे। पृथक से वाहन ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
विसर्जन के लिये स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित रूट मार्ग एवं तिथि एवं समय का पालन करना होगा। शहर के व्यस्त मार्गों से मूर्ति विसर्जन वाहन को ले जाने की अनुमति नहीं होगी। सामान्य रूप से सभी वाहन रिंग रोड के माध्यम से ही गुजरेंगे।
मूर्ति विसर्जन के लिये प्रयुक्त वाहन पंडाल से लेकर विसर्जन स्थल तक रास्ते में कहीं रूकने की अनुमति नही होगी।
विसर्जन के दौरान मार्ग में कहीं भी स्वागत, भंडारा, प्रसाद वितरण पंडाल लगाने की अनुमति नही होगी।
सूर्यास्त के पश्चात् एवं सूर्योदय के पहले मूर्ति विसर्जन के किसी भी प्रक्रिया की अनुमति नहीं होगी।
उपरोक्त शर्तों के साथ घरों में मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी, यदि घर से बाहर मूर्ति स्थापित किया जाता है, तो कम से कम 07 दिवस पूर्व शहरी क्षेत्रों के लिये संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिये तहसीलदार कार्यालय में निर्धारित शपथ पत्र मय आवेदन देना होगा एवं अनुमति प्राप्त होने के उपरांत ही मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी।
इन सभी शर्तों के अतिरिक्त भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग तथा जिला प्रशासन जांजगीर-चाम्पा के द्वारा जारी निर्देश/ आदेश का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना होगा।
यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा तथा उक्त निर्देशों के उल्लंघन करने पर एपीडेमिक डिसीज एक्ट एवं विधि अनुकूल नियमानुसार अन्य धाराओं के तहत कठोर कार्यवाही की जायेगी।