पिता से विरासत में मिली थी बहादुरी, शौर्य और साहस से पहुंचे सेना के सर्वोच्च पद तक, ऐसा था CDS बिपिन रावत का सफर… पढ़िए…

नई दिल्ली. देश ने एक दर्दनाक हादसे में अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और पत्नी मधुलिका समेत सेना के अफसरों को खो दिया। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जन्मे जनरल बिपिन रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में करियर की शुरुआत की थी। मुश्किल हालात और इनसर्जेंसी वाले क्षेत्रों में काम करने के मामले में जनरल रावत बेहद काबिल अफसर थे। यही वजह है कि 2016 में दो सीनियर अफसरों को सुपरसीड कर उन्हें आर्मी चीफ बनाया गया था।



जनरल बिपिन रावत का पूरा नाम विपिन लक्ष्मण सिंह रावत। वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे। जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ। जनरल रावत की माताजी परमार वंश से थीं। इनके पूर्वज हरिद्वार के मायापुर से आकर गढ़वाल के परसई गांव में बस गए, जिसके कारण आगे चलकर ये परसारा रावत कहलाए। दरअसल, रावत एक मिलिट्री टाइटल है, जो राजपूतों को गढ़वाल के शासकों ने दिए थे। इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए। रावत ने 11 वीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में करियर की शुरुआत की थी।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : सद्भावना भवन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका व बाल दिवस के अवसर पर सम्मान समारोह आयोजित, जनपद पंचायत अध्यक्ष कवि वर्मा, उपाध्यक्ष रितेश साहू सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी रहे मौजूद

रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा ली। यहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। वे फोर्ट लीवनवर्थ, अमेरिका में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के ग्रेजुएट भी रहे। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में एमफिल, मैनेजमेंट में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ की ओर से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया। रावत दिसंबर 1978 में 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन ऑफिसर बने। इसके बाद 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने। उन्हें पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में कामकाज का अनुभव रहा। खास बात ये है कि रावत उसी 11 गोरखा राइफल्स में पदस्थ हुए थे, जिसमें उनके पिता भी रह चुके थे।

इसे भी पढ़े -  Dabhara News : बिहार में NDA की ऐतिहासिक जीत, नगर पंचायत डभरा में अध्यक्ष दीपक साहू के द्वारा बांटी गई मिठाई, भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर की आतिशबाजी

जनरल बिपिन रावत ब्रिग्रेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मिलिट्री ऑपरेशन्स डाइरेक्टोरेट, कर्नल मिलिट्री सेक्रेट्री एंड डिप्टी मिलिट्री सेक्रेटरी, सीनियर इंस्ट्रक्टर इन जूनियर कमांड विंग, कमांडर यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स मल्टीनेशनल ब्रिगेड, वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, आर्मी चीफ और देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रहे।

विपिन रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल मिल चुका है। मुश्किल हालात और इनसर्जेंसी वाले क्षेत्रों में काम करने के मामले में जनरल रावत बेहद काबिल अफसर थे, जिसकी वजह से 2016 में दो सीनियर अफसरों पर उन्हें तरजीह दी गई और आर्मी चीफ बनाया गया।

इसे भी पढ़े -  Jaijaipur News : हसौद के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय में सरस्वती योजना के तहत बालिकाओं को दी गई सायकिल, मुख्य अतिथि के रूप जिला पंचायत सदस्य सुशीला सिन्हा हुई शामिल, छात्र-छात्राओं के द्वारा विभिन्न व्यंजनों का लगाया गया स्टॉल

Leave a Reply

error: Content is protected !!