चंडीगढ़. बीते छह वर्षों में कई बार चेतावनी के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनाें को सड़कों पर दौड़ाने से बाज नहीं आ रहे वाहन मालिकाें पर सरकार सख्त हो गई है। परिवहन और पुलिस विभाग ने ऐसे सभी वाहनों को सड़क पर दिखते ही जब्त करने के अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
राहत की बात यह कि पुराने वाहनों को एनसीआर के बाहर बेचने या हस्तांतरित करने के लिए तीन महीने की छूट दी गई है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हरियाणा के 14 जिले पड़ते हैं जिनमें सोनीपत, पानीपत, करनाल, जींद, रोहतक, झज्जर, गुरुग्राम, पलवल, फरीदाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, मेवात, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी शामिल हैं। इन जिलों में करीब छह लाख वाहन निर्धारित समय-सीमा पूरी कर चुके हैं। प्रदूषण को कम करने के लिए कंडम वाहनाें पर अंकुश लगाने का आदेश दे चुके सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनसीआर) ने नई वाहन स्क्रैप पालिसी घोषित होने के बाद आदेश को सख्ती से लागू करने को कहा है।वहीं, परिवहन आयुक्त द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का एनसीआर से पंजीकृत रद कर दिया गया है। इसे वि-पंजीकरण कहते हैं।
पुराने वाहनों के मालिक चाहें तो तीन मार्च से पहले इन्हें एनसीआर के बाहर ट्रांसफर करवा सकते हैं। एनसीआर में पुराने वाहनों को किसी भी सूरत में चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सड़कों पर ऐसे वाहन दिखते ही इन्हें जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं। इन वाहनों में सबसे ज्यादा संख्या दोपहिया वाहनों की है।
प्रदेश में आठ जिले पंचकूला, यमुननागर, कुरुक्षेत्र, हिसार, सिरसा, अंबाला, फतेहाबाद और कैथल ऐसे हैं जो एनसीआर से बाहर हैं। इन पर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश लागू नहीं होते।
दरअसल, एनसीआर में स्माग और वायु प्रदूषण की वजह से सरकार पहले ही डीजल और कोयला आधारित उद्योगों पर अंकुश लगा चुकी है। चूंकि डीजल और पेट्रोल के पुराने वाहन प्रदूषण को और बढ़ा रहे हैं, इसलिए इन पर भी सख्ती बरतने को कहा गया है।