आचार्य चाणक्य ने अपने नीतियों में मनुष्य के चरित्र के बारे में बताया है। इसके साथ ही किन आदतों से आप सफलता पा सकते हैं। इसका भी विस्तार से समझाया है।
आचार्य ने अपने श्लोकों में इस बात को भी समझाने की कोशिश की हैं कि अगर आप जिंदगी में सफल और सुखी रहना चाहते हैं तो किन लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए। जानिए आचार्य चाणक्य ने किस व्यक्ति की तुलना एक सांप से की है।
श्लोक
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः ।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ।।
आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में कहा कि एक दुर्जन और एक सांप मे यहीं अंतर है कि सांप किसी व्यक्ति को तभी डसता है जब उसे अपनी जान का खतरा महसूस होता है लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुंचाने की को
आचार्य चाणक्य के अनुसार हमेशा अपने जीवन में ऐसे मित्रों का साथ करें जो हमेशा आपके साथ सुख-दुख में खड़े रहें। वहीं अगर आपने एक दुर्जन व्यक्ति से दोस्ती कर ली हैं तो वह हर समय किसी न किसी तरह आपका अहित करेगा। इसलिए हमेशा सोच-समझ कर ही किसी से घनिष्ठता बढ़ाए।