भारतीय घरेलू बाजार के लिए तो कल का दिन बेहद खराब साबित हुआ ही, अमेरिकी बाजार भी बड़ी गिरावट से बच नहीं सके. कल के कारोबार में S&P 500 इंडेक्स 6 महीने के निचले स्तर पर आ गिरा था.
घरेलू शेयर बाजार (Stock Market) में सोमवार को करीब दो महीने में किसी एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट आयी. वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के बीच घरेलू बाजार में चौतरफा बिकवाली से बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 1546 अंक का गोता लगाकर 58,000 अंक से नीचे आ गया. कल का दिन ग्लोबल बाजारों के लिए भी बेहद खराब साबित हुआ और अमेरिकी बाजार (American Market) भी धड़ाम से गिरे.
कंपनियों का मार्केट कैप 9.13 लाख करोड़ रुपये गिरा
कल बाजार की गिरावट में सेंसेक्स 1546 अंक नीचे कारोबार बंद हुआ है और इसके साथ ही कंपनियों का मार्केट कैप 9.13 लाख करोड़ रुपये घट गया है. पिछले साल 26 नवंबर के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में किसी एक दिन में अबतक की यह सबसे बड़ी गिरावट है. यह लगातार पांचवां कारोबारी सेशन है, जब बाजार नीचे आया है.
कल सेंसेक्स में एक समय दिखी थी 2000 अंकों से ज्यादा की गिरावट
बीएसई सेंसेक्स की शुरुआत गिरावट के साथ हुई और एक समय बिकवाली दबाव से यह 2050 अंक से ज्यादा टूटकर 56,984 अंक के स्तर तक नीचे आ गया था. पर बाद में इसमें कुछ सुधार आया और अंत में यह 1545.67 अंक यानी 2.62 फीसदी की गिरावट के साथ 57,491.51 पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 468.05 अंक यानी 2.66 फीसदी का गोता लगाकर 17,149.10 अंक पर बंद हुआ.
इन शेयरों में दिखी बिकवाली
टाटा स्टील का शेयर करीब छह फीसदी टूटकर सबसे ज्यादा नुकसान में रहा. इसके अलावा बजाज फाइनेंस, विप्रो, टेक महिंद्रा, टाइटन, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचसीएल टेक के शेयर भी मुख्य रूप से नुकसान में रहे.
ग्लोबल बाजारों का कैसा रहा हाल
अमेरिकी बाजारों की बात करें तो कल कारोबार खुलने के कुछ मिनटों के भीतर ही बेंचमार्क इंडेक्स S&P 500 में 1.5 फीसदी तक गिरावट देखी गई थी, वहीं नैस्डेक कंपोजिट (Nasdaq Composite) करीब 1.7 फीसदी गिरा था, जबकि डाओ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 1 फीसदी लुढ़कर कर कारोबार कर रहा था. एशिया के बाजारों में हांगकांग का हैंगसेंग, दक्षिण कोरिया का कोस्पी नुकसान में, जबकि जापान का निक्केई और चीन का शंघाई कंपोजिट हरे निशान में रहे. यूरोप के प्रमुख बाजारों में कारोबार में गिरावट का रुख रहा. इस बीच तरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.32 फीसदी बढ़कर 88.17 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया.
क्या है बाजारों में गिरावट का कारण
भारतीय बाजार पिछले कुछ दिनों से भारी दबाव में हैं. हाल के उच्चतम स्तर से यह सात फीसदी नीचे आ चुका है, गिरावट चौतरफा है. हाल के आईपीओ वाले नये जमाने की कंपनियों में गिरावट ज्यादा तीव्र है. वैश्विक बाजारों में महंगाई को लेकर चिंता है. साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर बढ़ाने को लेकर भी चिंता है जिससे दुनिया के अन्य प्रमुख बाजारों में गिरावट के साथ घरेलू बाजार नीचे आये हैं.
जानकार की राय –
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि वैश्विक बाजारों में बिकवाली, तीसरी तिमाही के कमजोर वित्तीय परिणाम और बजट से पहले घबराहट से घरेलू बाजार में भारी बिकवाली हुई. एफओएमसी (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) की कल से होने वाली बैठक से पहले मार्केट सेंटीमेंट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. निवेशकों को एफओएमसी की दो दिन की बैठक के नतीजे का इंतजार है. ऐसी उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व नीतिगत दर में वृद्धि को लेकर स्पष्ट संकेत देगा.
बाजार के अन्य आंकड़े
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 17 पैसे टूटकर 74.60 पर बंद हुई.
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे. उन्होंने 3,148.58 करोड़ रुपये कीमत के शेयर बेचे जिसके चलते बाजार पर दबाव बढ़ा है.