पढ़िए संघर्ष की कहानी: एक पैर के सहारे अपने लक्ष्य पर निशाना साध रही तनिष्का

नई दिल्ली. शारीरिक रूप से बेशक इंसान कमजोर हो, लेकिन हौसले बुलंद हो तो सफलता निश्चित रूप से जरूर मिलती है। इस बात को बखूबी साबित कर दिखाया है त्रिलोकपुरी निवासी दिव्यांग तीरंदाज तनिष्का ने। ये भले ही दिव्यांग है पर इनका जज्बा अच्छे-अच्छों को हैरत में डालने वाला है। खेल जुनून के आगे उन्होंने कभी आर्थिक चुनौतियों को सामने नहीं आने दिया। उनका लक्ष्य बस ओलंपिक में पदक हासिल करना है। जुनून ऐसा है कि कोरोना संकट में भी उनके कदम नहीं रुके। वीकेंड कर्फ्यू के बाद शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घर के पास मैदान में तीरंदाजी का अभ्यास कर रही हैं।



दिव्यांग तीरंदाज तनिष्का की कहानी जिजीविषा से भरी है। जन्म से ही दाएं पैर में पोलियो हो गया था। ऐसे में सामान्य लोगों के अनुसार वह बहुत कमजोर है। दौड़ना तो दूर की बात वह ठीक से चल भी नहीं पाती है। लेकिन, उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। सुबह छह बजे से लेकर नौ बजे तक घर का कामकाज करती है फिर उसके बाद 10 बजे से शाम चार बजे तक घर के पास मैदान के अंदर तीरंदाजी का अभ्यास करती है। यह सिलसिला पिछले चार साल से चल रहा है।

अब तक वर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर दिल्ली के लिए पदक हासिल कर चुकी हैं। तनिष्का ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि इग्नू से स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं। पढ़ाई के साथ-साथ मेरा सपना देश के लिए ओलंपिक में पदक हासिल करना है। साथ ही कहा कि परिवार पिता राम लखन व माता गीता सहित अन्य सदस्य है। पिता राम लखन निजी कंपनी में काम करते हैं। परिवार के पालन पोषण का सारा भार पिता राम लखन के कंधों पर हैं। ऐसे में तीरंदाजी के अभ्यास के लिए परिवार के सभी सदस्यों को पूरा सहयोग मिल रहा है।

राष्ट्रीय स्तर के तनिष्का हासिल कर चुकी है कांस्य पदक
तनिष्का बताती है कि हरियाणा में आयोजित पैरा नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता 2018-2019 में टीम दिल्ली के लिए दो कांस्य पदक अपने नाम किया। साथ ही दिल्ली स्तर पर भी कई तीरंदाज चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में आयोजित होने जा रहे वर्ल्ड तीरंदाजी चैंपियनशिप और पैरा ओलंपिक के लिए अभी से ही अभ्यास कर रही हैं।

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