भारत की आजादी की लड़ाई में किसान आंदोलनों का काफी योगदान रहा है. बिहार के नील किसानों से लेकर गुजरात के पशुपालकों तक ने अंग्रेजी वर्चस्व के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया था. इन प्रयासों ने बिजनेस के मामले में भी भारत को आजाद बनाया. दुनिया के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड में से एक अमूल (AMUL) की कहानी भी इन्हीं आंदोलनों से जुड़ी हुई है. दूध और डेयरी के क्षेत्र में अंग्रेजों का वर्चस्व समाप्त करने का श्रेय अमूल को ही जाता है.
पोलसन डेयरी की मनमानी बनी प्रेरणा
अमूल की वेबसाइट पर बताया गया है कि इस कहानी की शुरुआत किसानों के आंदोलन से हुई थी. आजादी से पहले भारत में दूध के कारोबार पर ब्रिटिश कंपनी पोलसन डेयरी का दबदबा था. कंपनी पशुपालक किसानों के साथ मनमानी करने के लिए कुख्यात थी. इससे परेशान होकर गुजरात के कैरा जिले के दूध उत्पादक किसानों ने विरोध किया. किसान अपने हितों और अधिकारों के लिए संगठित होने लगे, जो बाद में 1946 में अमूल के रूप में सामने आया.
सरदार पटेल की सलाह पर किसानों ने बनाया यूनियन
पोलसन डेयरी का विरोध कर रहे किसानों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल से मुलाकात की और उन्हें परेशानियों से अवगत कराया. इसके बाद सरदार पटेल ने किसानों को अपना यूनियन बनाने की सलाह दी. सरदार पटेल की सलाह पर किसानों ने 14 दिसंबर 1946 को त्रिभुवन काका की अगुवाई में कैरा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड की शुरुआत की. यूनियन ने पोलसन डेयरी को दूध बेचना बंद कर दिया और Bombay Milk Scheme को सीधे सप्लाई करने लग गई.
डॉ कुरियन का रहा महत्वपूर्ण योगदान
किसान नेता त्रिभुवन काका ने 1949 में डॉ वर्गीज कुरियन को यूनियन के साथ जोड़ा, जो बाद में भारत की दुग्ध क्रांति यानी श्वेत क्रांति के जनक माने गए. समय के साथ यूनियन का विस्तार होता गया और कई जिलों के संगठनों को मिलाकर गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) का गठन हुआ. आज यही को-ऑपरेटिव कंपनी अमूल ब्रांड नाम से बिजनेस करती है.
आज दूध के बाजार में सिरमौर है भारत
आज के समय में भारत दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन और खपत करने वाला देश बन चुका है. दूध भारत का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद भी है. पशुपालन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अभी हर साल करीब 19 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है. देश में अभी हर व्यक्ति के लिए औसतन 400 ग्राम दूध उपलब्ध है. इस उपलब्धि में अमूल का बड़ा योगदान है. महज दो गांव की डेयरी सोसायटी और मात्र 247 लीटर की क्षमता के साथ इस कहानी की शुरुआत हुई. अभी अमूल ब्रांड का टर्नओवर 52 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड आज 1.66 करोड़ किसानों का संगठन है