उत्तरी कश्मीर के जिला बांडीपोरा में प्रसिद्ध हरमुख चोटी से सटा छोटा सा गांव वेवान कोरोना महामारी के बीच एक उदाहरण बना हुआ है। खास बात यह है कि कोरोना महामारी के पहले चरण के बाद यानी पिछले दो सालों के दौरान इस गांव से कोरोना संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। यही नहीं गांव में रहने वाले सभी लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज भी ले रखी हैं।
बांडीपोरा मुख्य कस्बे से करीब 28 किलोमीटर दूर इस गांव तक पहुंचने के लिए आपको 10 किलोमीटर का सफर गाड़ी पर जबकि 18 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। करीब 362 लोगों की आबादी वाला यह छोटा सा गांव हरमुख पहाड़ी से सटा हुआ है। इंटरनेट सुविधा के दूर इस गांव के लोग भले कम पढ़े-लिखे हों परंतु अपने अच्छे-बुरे को बेहतर समझते हैं। हाल ही में हुई बर्फबारी के बाद यह गांव घुटने तक गहरी बर्फ से ढका हुआ है।
यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि देश के दूसरे राज्यों की तरह जब कश्मीर में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी तो उस दौरान गांव के कुछ लोग भी संक्रमित हुए थे परंतु उसके बाद उन्होंने प्रशासन के सभी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया और उसी का नतीजा है कि पिछले दो सालों में भले बांडीपोरा में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हों परंतु इस गांव में कोरोना संक्रमण को फिर से प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई।
कई बार ऐसा हुआ कि बांडीपोरा में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले भी सामने आए परंतु गांव के लोगों ने कोरोना संक्रमण को लेकर कभी भी कोई लापरवाही नहीं बरती। गांव के रहने वाले एक निवासी अशफाक ने कहा कि हमारे गांव के लोग बहुत कम पढ़े-लिखे हैं परंतु प्रशासन की हिदायतों का सख्ती से पालन करते हैं। प्रशासन ने जब कोरोना संक्रमण को लेकर जरूरी हिदायत दी, तभी से हम लोग इसका पालन कर रहे हैं। हमारे गांव में 18 आयु वर्ग से ऊपर के सभी लोग कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज भी ले चुके हैं।