कौन थे पान सिंह तोमर? वो ‘बागी’ जिनके नाम से पुलिस भी डरती थी, बॉलीवुड ने फिल्म तक बनाई

2 मार्च 2012 को एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी. नाम था पान सिंह तोमर. इस फिल्म के डायलॉग भले ही देसी ज़ुबान में हों, लेकिन आज भी वो चेहरों पर खुशी लाने का काम करते हैं.
तमाम खूबियों के साथ इस फिल्म की एक बड़ी खूबी यह थी कि इसकी कहानी रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित थी. यही कारण है कि आज हम उस इंसान की कहानी आपके लिए लेकर आए हैं, जिस पर यह फिल्म आधारित है.



‘पान सिंह तोमर’ का असली किरदार कौन?
इरफ़ान खान को बेस्ट ऐक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिलवाने वाली फिल्म ‘पान सिंह तोमर’, सेना में शामिल होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय एथलीट बनकर कई मेडल जीतने वाले उस इंसान की कहानी है, जिसकी पहचान मरते वक्त भले ही एक डकैत की रही है. मगर उसके अपनों ने उसे कभी भी डकैत नहीं माना. यह कहानी है झांसी से करीब 25 किमी दूर बबीना कस्बे में रहने वाले ‘पान सिंह तोमर’ की है, जो अब इस दुनिया में नहीं है.

इसे भी पढ़े -  Sakti News : भाजपा कार्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस पर भाजपा जिलाध्यक्ष टिकेश्वर गबेल, मालखरौदा जनपद पंचायत अध्यक्ष कवि वर्मा ने लगाया बादाम का पेड़, अन्य भाजपा जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

सैनिक से बागी कैसे बने पान सिंह तोमर?
पान सिंह तोमर ने साल 1932 से लेकर 1 अक्टूबर, 1982 तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे. इस दौरान उन्होंने अपनी दौड़ने की प्रतिभा पर काम किया और 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज़मेम्पियन बने. 1952 के एशियाई खेलों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर एक अच्छा सैनिक,

मशहूर एथलीट बागी कैसे बन गया.
दरअसल, रिटायरमेंट लेने के बाद जब पान सिंह अपने पैतृक गांव लौटे तो वो भ्रष्ट सिस्टम का शिकार हो गए. उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी ज़मीन गलत तरीके से अपने कब्जे में कर ली थी, जिसका उन्होंने विरोध किया. मगर प्रशासन ने उनके साथ सहयोग नहीं किया. विरोधियों द्वारा उनकी मां की हत्या तक कर दी गई. ऐसे में पान सिंह ने अपनी लड़ाई खुद लड़नी शुरू कर दी और बागी बनकर अपना बदला लेना शुरु कर दिया.

इसे भी पढ़े -  Baradwar News : नगर पंचायत बाराद्वार के अध्यक्ष नारायण कुर्रे, उपाध्यक्ष जितेश शर्मा सहित स्वच्छता दीदियों ने विश्व पर्यावरण दिवस पर किया पौधरोपण, नपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने की लोगों से पेड़ लगाने की अपील, दिलाई गई शपथ

पुलिस वाले पान सिंह के नाम से कांपते थे!
के मुताबिक पान सिंह का एनकाउंटर करने वाले तात्कालीन डीएसपी एम.पी सिंह बताते हैं कि पान सिंह का पूरी चंबल घाटी में खौफ था. लोगों के लिए वो घाटी का शेर था. यहां तक कि खुद पुलिस वाले भी उनके नाम से कांपते थे. वहीं उनके सगे भतीजे पूर्व डकैत बलवंत सिंह तोमर अपने एक मीडिया

एनकाउंटर में मारे गए थे पान सिंह तोमर गौरतलब हो कि चम्बल घाटी के डकैत के रूप में कुख्यात हुए पान सिंह तोमर 1981 में एक सरकारी एनकाउंटर में मार दिए गए थे.  उन्हें पकड़ने के लिए बीएसऍफ़ की दस कंपनिया, एसटीऍफ़ की 15 कंपनियों और जिला पुलिस ने मिलकर काम किया था. इसी क्रम में 2012 में तिग्मांशु धूलिया ने उन पर फिल्म बनाई, जोकि खूब लोकप्रिय हुई.

इसे भी पढ़े -  Sakti News : भाजपा कार्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस पर भाजपा जिलाध्यक्ष टिकेश्वर गबेल, मालखरौदा जनपद पंचायत अध्यक्ष कवि वर्मा ने लगाया बादाम का पेड़, अन्य भाजपा जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

error: Content is protected !!