उज्जैन: महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पूजन की अनुमति के बिना नहीं मिलेगी प्रवेश; नियमों के पालन में सख्ती, जानिए कौन-कौन से नए नियम है

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड का पालन सख्ती से होगा। जिन भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश करना है उन्हें ड्रेस कोड का पालन हर हाल में करना होगा। पुजारी-पुरोहितों पर इसकी जिम्मेदारी होगी। इस संबंध में मंदिर प्रशासन समिति ने आदेश जारी किया है।



महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश के लिए समय सीमा तय की गई है। सामान्य श्रद्धालुओं को भी गर्भगृह में प्रवेश कर पूजन की सुविधा दी गई है। मंदिर समिति ने इसके लिए दोपहर 1 से 4 बजे तक का समय तय किया है। इस दौरान गर्भगृह में नि:शुल्क व सामान्य वेशभूषा में श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं। हालांकि, प्रवेश देने का निर्णय मंदिर समिति उस समय श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर लेती है। इसके अलावा यदि कोई भक्त दोपहर 1 से 4 के समय के अलावा गर्भगृह में प्रवेश कर पूजन करना चाहें तो उन्हें 1500 रुपये की दान रसीद कटवाना जरूरी है। इस रसीद से दो श्रद्धालुओं को निर्धारित ड्रेस कोड में गर्भगृह में जलाभिषेक की अनुमति दी जाती है। इसके लिए सुबह 6 से 9, दोपहर 12 से 1 व शाम को 6 से रात 8 बजे तक का समय निर्धारित है। श्रद्धालु मंदिर समिति के काउंटर से दान रसीद ले सकता है तथा किसी भी पुजारी या पुरोहित के माध्यम से गर्भगृह में जाकर पूजन कर सकता है। इसके लिए श्रद्धालुओं को निर्धारित ड्रेस कोड का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।

पुरुषों के लिए धोती-सोला व महिलाओं के लिए साड़ी

मंदिर प्रशासक गणेशकुमार धाकड़ ने बताया कि ड्रेस कोड के अनुसार पुरुषों को धोती, सोला, बनियान, उपवस्त्र तथा महिला को साड़ी पहनना अनिवार्य है। श्रद्धालु इस दौरान मोजे, चमड़े के पर्स व बेल्ट, हथियार तथा मोबाइल गर्भगृह में नहीं ले जा सकते। इस पर पूर्ण प्रतिबंध है। देखा गया है कि श्रद्धालु पूजन के लिए गर्भगृह में प्रवेश के दौरान मंदिर की परंपराओं व मान्यताओं का पालन नहीं करते हैं, इससे मंदिर की मर्यादा को हानि पहुंचती है। आदेश का उल्लंघन करने पर नियम अनुसार कार्रवाई होगी।

धाकड़ का कहना है कि शिकायतें मिल रही थी कि गर्भ गृह में जाने वाले कुछ श्रद्धालु ड्रेस कोड का पालन नहीं करते हैं। इसके चलते यह आदेश जारी कर ड्रेसकोड का पालन अनिवार्य किया गया है। इसके पालन की जिम्मेदारी भी संबंधित पुजारी और पुरोहित की होगी। यदि श्रद्धालु व पुजारी, पुरोहित आदेश का पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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