नई दिल्ली। देश के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पद अब लंबे समय तक खाली नहीं रहेंगे बल्कि उसके खाली होने से पहले ही उसे भरने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। ऐसे में शिक्षकों के खाली पदों के भरने में देरी को लेकर भी कोई बहाना भी नहीं चलेगा। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर एक विस्तृत योजना बनाने को लेकर काम शुरू कर दिया है।हीं चलेगा। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर एक विस्तृत योजना बनाने को लेकर काम शुरू कर दिया है।
हालांकि इससे पहले केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित सभी केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के मौजूदा समय में खाली पदों को मिशन मोड में भरने के निर्देश दिए है। साथ ही इस काम को पूरा करने के लिए 31 अगस्त 2022 तक की समय सीमा भी निर्धारित की है। ध्यान रहे कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सचिवों के साथ बैठक में सभी मंत्रालयों व विभागों में खाली पदों को भरने का निर्देश दिया था।
उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी शिक्षा नीति के अमल में एक बड़ी बाधा बन रही है।
मंत्रालय ने नीति के अमल की इस बाधा को भांप कर पिछले साल ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की मुहिम छेड़ी थी। खुद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश भर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से सीधी चर्चा की थी।
हालांकि उन्होंने सभी से तीन महीने के भीतर ही खाली पदों के विज्ञापन जारी करने के निर्देश दिए थे। लेकिन कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पूर्णकालिक कुलपति के न होने से यह मामला लटका रहा। हालांकि अब इनमें नए सिरे से तेजी आयी है। मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षकों के करीब साढे आठ हजार पदों के लिए अब तक विज्ञापन जारी किए गए है।
शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के 11 हजार से ज्यादा पद खाली है। इनमें साढ़े छह हजार पद अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली है।
वहीं आइआईटी में शिक्षकों के करीब 43 सौ व आइआइएम में भी 422 पद खाली है। यह स्थिति तब है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या करीब 19 हजार है, जबकि आइआइटी में 11 हजार व आइआइएम में करीब 15 सौ है।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक देश के इन शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए वैसे तो शिक्षकों की संख्या बढ़नी चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में जितने स्वीकृत पद है, उनमें से ही काफी पद खाली है। यही वजह है कि खाली पदों को प्रमुखता से भरने के लिए कहा गया है। माना जा रहा है इसके बाद मंत्रालय उच्च शिक्षण संस्थानों को नई योजना के अमल पर जोर देगा ताकि भविष्य में शिक्षकों के बड़े पैमाने पर पद खाली न रहें।