नई दिल्ली. राष्ट्रपति पद की एनडीए से उम्मीदवार बनी द्रौपदी मुर्मू का जीवन काफी संकटों से भरा रहा है। ओडिशा के मयूरभंज जिला स्थित एक आदिवासी गांव में पैदा हुईं मुर्मू के जीवन में कई ऐसे हादसे हुए जिनसे निकलना आसान नहीं था।
लेकिन द्रौपदी ने भी इन हादसों से पार पाते हुए आज उस मुकाम पर पहुंच गईं हैं जहां पहुंचना किसी के लिए भी आसान नहीं होता।
दोनों बेटों और पति को खोया
साल 2009 में द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी में पहली बार भयंकर तूफान तब आया जब उनके पुत्र की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई। वो इस सदमे से निकल भी नहीं पायी थी कि महज तीन वर्ष बाद 2012 में सड़क हादसे के कारण उनका दूसरा पुत्र भी काल कलवित हो गया।
उनके पति श्याम चरण मुर्मू का कार्डियक अरेस्ट के कारण पहले ही निधन हो चुका था। अब केवल द्रौपदी मुर्मू की एक विवाहित पुत्री हैं जो भुवनेश्वर में रहती हैं।
पिछले वर्ष राज्यपाल के पद से हटी हैं मुर्मू: द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी महिला होंगी। आर्ट्स से ग्रैजुएट मुर्मू ने अपने करियर की शुरुआत एक क्लर्क के रूप में की थी, फिर वो टीचर बन गईं। बाद में उन्होंने राजनीति का रुख किया और 1997 में पहली बार निगम पार्षद बनीं।
ओडिशा के रैरंगपुर विधानसभा सीट से दो बार बीजेपी विधायक बनने के बाद वो 2000 से 2004 के बीच नवीन पटनायक सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें 2015 में झारखंड का राज्यपाल बनाया। उनका कार्यकाल पिछले वर्ष 2021 में समाप्त हुआ है।