परीक्षा में हर साल लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं। उनमें से कुछ अपने पहले प्रयास में ही सफल हो जाते हैं, जबकि कुछ कई वर्षों तक अपने प्रयासों में लगे रहते हैं। दिल्ली के वैभव छाबड़ा बैकबेंचर थे। शुरू से ही उनकी पढ़ाई में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी।
लेकिन इसके बावजूद वे यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के बाद आईईएस अधिकारी बन गए। जानिए वैभव छाबड़ा की सफलता की कहानी-
मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुकात
दिल्ली के रहने वाले वैभव छाबड़ा एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वैभव ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से पूरी की है।
हालांकि, उसके लिए पढ़ाई उतनी ही कठिन थी, जितना कि पहाड़ पर चढ़ना। उन्होंने कभी भी पढ़ाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली, यही वजह थी कि उनका प्रदर्शन हमेशा औसत रहा।
5 साल में पूरा किया था बी.टेक
उन्होंने मीडिया इंटरव्यू में बताया कि 5 साल में अपना बी.टेक पूरा कर 56% अंक प्राप्त किए। बी.टेक करने के बाद उन्होंने एक कोचिंग संस्थान में फिज़िक्स के शिक्षक के रूप में पढ़ाना शुरू किया।
करीब 2 साल में उन्होंने महसूस किया कि वह इस नौकरी तक सीमित नहीं रह सकते। जिसके बाद उन्होंने आईईएस बनने के बारे में सोचा।
परिवार और दोस्तों ने बढ़ाया हौसला
वैभव ने अपने परिवार और कुछ दोस्तों को आईईएस बनने का फैसला बताया। उस दौरान नौकरी छोड़ना उनके लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में थी। लेकिन हिम्मत के साथ वैभव ने यह नौकरी छोड़ दी।
लेकिन, उसके बाद उन्होंने बीएसएनएल में काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान उनका सपना आईईएस बनने का था, जिसके चलते उन्होंने इस नौकरी को अलविदा भी कह दिया।
पढ़ने में नहीं लगता था मन तो बदल दी पढ़ाई की ट्रिक
वैभव का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। तैयारी के दौरान वैभव मुश्किल से एक घंटा ही पढ़ पाते थे। इसलिए उन्होंने हर आधे घंटे के बाद 15 मिनट का ब्रेक लेना शुरू किया। इस विधि से धीरे-धीरे पढ़ाई का समय बढ़ने लग गया।
दुर्घटना के हो गए थे शिकार, बिस्तर पर लेटकर करनी पढ़ी पढ़ाई
साल 2018 में वैभव ने यूपीएससी का फॉर्म भरा था, लेकिन एक हादसे के चलते उनकी पीठ में काफी चोट लग गई। इस चोट के कारण वे लगातार आठ महीने बेड रेस्ट पर थे। पढ़ाई में किसी तरह का नुकसान न हो, इसके लिए वह बिस्तर पर लेटकर आईईएस बनने की तैयारी करने लगे।
उन्हें साल 2018 में सफलता मिली थी। उन्होंने आईईएस परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की थी। जब उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जिसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। वह मेन्स तक पहुंचे थे लेकिन रिजेक्ट हो गए।