जांजगीर. कवि की किताब का लोकार्पण एक सुखद अहसास होता है किंतु लोकार्पण माँ के द्वारा किया जाए तो यह अहसास चार गुना हो जाता है। खोखरा के युवा कवि दिनेश रोहित चतुर्वेदी की चौथी किताब का लोकार्पण उनकी माँ राजकुमारी चतुर्वेदी द्वारा डीआईए विजन इंस्टिट्यूट में किया गया।
यह किताब कवि के द्वारा माँ को ही समर्पित है। लोकार्पण के बाद माँ की आँखों मे वात्सल्य के आँसू बहने लगे किंतु भीतर हृदय में आनंद की धारा भी बह रही थी। ऐसा दृश्य बहुत कम दिखता है।
लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ चितरंजन थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ माणिक विश्वकर्मा व डॉ अजय पाठक उपस्थित रहे। अध्यक्षता शील साहित्य परिषद के अध्यक्ष विजय दुबे द्वारा की गयी। अजय पाठक ने दिनेश रोहित चतुर्वेदी की चौथी पुस्तक ‘आत्ममंथन का समय है’ की समीक्षा करते हुए बताया दिनेश के गीतों में ग्रामीण परिवेश का अद्भुत चित्रण है।
भारतीय लोकतंत्र, राजनेताओं की दुरभिसंधियों वाली राजनीति पर गीतों के माध्यम से प्रहार किया गया है। कम उम्र में एक अच्छा गीत संग्रह दिनेश की कलम से निकली है। कई गीत सूक्तियां बन गई हैं। ध्यातव्य है दिनेश की तीन किताबें जीवित नदी, दर्द का अनुवाद एवं चेतना के बीज पूर्व में प्रकाशित हो चुकी है।
दिनेश जी एक व्याख्याता एवं एनसीसी अधिकारी भी हैं एवं हिंदी के साथ साथ छत्तीसगढ़ी में भी लंबे समय से लेखन कर रहे हैं। आत्म मंथन का समय है दिनेश की चौथी एवं पहला गीत नवगीत संग्रह है।
कार्यक्रम के दौरान ईश्वरी यादव के गीत संग्रह “हमको ही सब तय करना है व पल्लू”, सजलकार विजय राठौर के सजल संग्रह ‘एक टुकड़ा धूप का’ व गीत संग्रह हैं ‘सफर में पाँव मेरे’, दयानंद गोपाल के काव्य संग्रह “मौसम समय पर बदलता है’ एवं संतोषी महंत श्रद्धा के गीत संग्रह ‘और तुझको क्या कहूँ’ का भी लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का संचालन सतीष कुमार सिंह द्वारा किया गया। इस दौरान राकेश चतुर्वेदी, बलदेव शर्मा, घनशायम शर्मा, प्रमोद आदित्य, संतोष कश्यप, अंकित राठौर, उमाकांत, अनुराग तिवारी, भूपेंद्र राठौर, प्रेमकुमार शाण्डिल्य, एस व्ही शर्मा, देवी प्रसाद पांडेय, भैयालाल नागवंशी सहित साहित्यानुरागी उपस्थित रहे।