छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में किसानों की परेशानी बढ़ने वाली है. अब रबी फसल के लिए बांध से पानी नहीं मिलेगा. मुख्यमंत्री ने गौठान समितियों की बैठक में बांधों का पानी कम न हो इस लिए पानी नहीं देने का सुझाव दिया है. यानी अब किसानों को रबी फसल के सिंचाई के लिए जूझना पड़ेगा. ज्यादा पानी वाली फसल जैसे धान की फसल लगाने वालों की मुसीबत बढ़ जाएगी.
धान की फसल के लिए किसानों को जल संकट
दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते 9 अक्टूबर को गौठान समितियों की बड़ी बैठक ली है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि गर्मी में धान की फसल के लिए बांधों से पानी नहीं देना चाहिए, ताकि जुलाई के समय के लिए पानी बांधों में रहे. गर्मी में दलहन तिलहन को प्रोत्साहित कीजिए, राज्य में किसानों को धीरे धीरे वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराते रहें, प्रेरित करें तो रासायनिक खाद से निर्भरता खत्म होगी. आगे उन्होंने कहा कि धान के अलावा दूसरी फसलों में भी वर्मी कंपोस्ट के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है.
किसान बैठक कर बनाएंगे रणनीति
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस सुझाव से किसान नाराज हो गए हैं. आज किसानों की एक बड़ी बैठक में इस मामले आगे की रणनीति बनाई जाएगी. किसान नेता पारसनाथ साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सभी बांधों में पानी शत प्रतिशत उपलब्ध है, गर्मी के समय भी पानी दिया जाना चाहिए. हम शासन को गर्मी के समय धान खरीदी के लिए बाध्य नहीं करेंगे. भले हम कम दाम में धान बेच लेंगे.
सभी बांधों में लबालब भरा पानी
गौरतलब है कि इस साल बेहतर मानसून की वजह से राज्य के सिंचाई बांधों और जलाशयों में जलभराव की स्थिति बीते दो सालों की तुलना में बेहतर है. राज्य की 12 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में शामिल सिकासार, खारंग और मनियारी जलाशय आज की स्थिति में लबालब हैं. मिनीमाता बांगो में 84.5 प्रतिशत और रविशंकर गंगरेल बांध में 93.35 प्रतिशत जलभराव है. वहीं तांदुला जलाशय में 93.64 प्रतिशत जलभराव है. कांकेर स्थित दुधावा और धमतरी जिले का मॉडल सिल्ली बांध भी लबालब होने की स्थिति में है.