अतीक-अशरफ को मारने की सुपारी किसने दी?: अलग-अलग शहर से आए तीन हत्यारे, 48 घंटे होटल में रूके और फिर…जानिए पांच बड़े सवाल, जिनके जवाब से खुल जाएंगे सारे राज….

माफिया माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर अतीक और अशरफ को मारने की सुपारी किसने दी? ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि तीनों हत्यारे अलग-अलग जिलों के रहने वाले थे।



ऐसे में क्या इस पूरी वारदात के पीछे किसी और का हाथ है? अगर हां तो वो कौन है? कैसे उसने इन हत्यारों को सुपारी दी? आखिर इसके पीछे कारण क्या है? अगर तीनों हत्यारों ने खुद इसे अंजाम दिया तो उन्होंने कैसे प्लान बनाया? तीनों की मुलाकात कहां हुई थी और कब इन्होंने अतीक और अशरफ को मारने का फैसला लिया? जिस जिगाना मेड पिस्टल से अतीक और अशरफ को मारा गया वो हत्यारों के पास कहां से आया? आइए समझते हैं सबकुछ…

पहले तीनों हत्यारों को जान लीजिए
पुलिस ने तीनों हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया है। इनसे पूछताछ हो रही है। अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले हमलावरों की पहचान लवलेश तिवारी, शनि और अरुण मौर्य के रूप में हुई है। तीनों बाइक सवार बदमाश मीडियाकर्मी बनकर आए थे। पुलिस की जांच में सामने आया है कि तीनों हमलावर अलग-अलग जिलों से आए थे। तीनों 48 घंटे से प्रयागराज में एक होटल में कमरा लेकर रूके थे।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है, जबकि अरुण मौर्य हमीरपुर और सनी कासगंज का रहने वाला है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि तीनों हत्यारोपियों पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं। मालूम चला है कि शूटर अरुण पर पहले से एक हत्या का मामला दर्ज है। दूसरे हत्यारोपी सनी पर 15 मामले चल रहे हैं। लवलेश पर भी पहले से मुकदमा दर्ज है।

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अतीक और अशरफ की हत्या करने हमलावर जिस बाइक से आए थे, उसके बारे में भी खुलासा हुआ है। पता चला है कि ये UP70M7337 नंबर की बाइक सरदार अब्दुल मन्नान खान के नाम से रजिस्टर्ड है। यह नंबर हीरो होंडा की पुरानी गाड़ी CD-100ss बाइक पर दर्ज है। जिसे तीन जुलाई 1998 को कैश देकर खरीदा गया था। बाइक कहां से लाई गई थी और किसने हत्यारों को दी, इसकी भी जांच चल रही है।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस की पूछताछ में तीनों ने कहा है कि वह बड़ा माफिया बनना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया। तीनों हत्यारों ने कहा कि वह कब तक छोटे-मोटे शूटर बने रहेंगे।

पांच बड़े सवाल, जिनके जवाब से खुल जाएंगे सारे राज
1. क्या तीनों हत्यारे पहले से एक-दूसरे को जानते थे? अगर हां तो कब और कहां मुलाकात हुई थी?
2. अतीक और अशरफ को ही क्यों निशाना बनाया? क्या किसी ने सुपारी दी थी?
3. अगर किसी ने हत्या की सुपारी दी तो वो कौन है? आखिर क्यों उसने अतीक और अशरफ की हत्या करवाई?
4. हत्यारों के पास से बरामद जिगाना मेड पिस्टल कहां से आई? तुर्की में बनने वाली इस पिस्टल को हत्यारों को किसने दिया?
5. हत्या की प्लानिंग किसने की? क्या पुलिस, प्रशासन या किसी नेता का भी इसमें हाथ है?

किसने दी हत्या की सुपारी?
हमने ये समझने के लिए रिटायर्ड आईपीएस महेंद्र सिंह वर्मा से बात की। उन्होंने कहा, ‘इस हत्या के बाद दो चीजें सामने आ रहीं हैं। पहला ये भी हत्यारों का टारगेट एकदम साफ था और दूसरा ये भी कि उन्हें किसी बाहरी का सपोर्ट भी था। बगैर किसी सपोर्ट के वो इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकते थे।’

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वर्मा कहते हैं, ‘सुपारी की बात तभी साफ हो जाएगी जब हत्यारों का कनेक्शन सामने आएगा। अतीक और अशरफ माफिया थे। दोनों की सैकड़ों लोगों से दुश्मनी रही होगी। ऐसे में संभव है कि किसी ने अपना बदला लेने की नियत से ऐसा करवाया होगा। हां, ये भी हो सकता है कि फेमस होने के चक्कर में इन्हीं तीनों शातिरों ने इस वारदात को अंजाम दिया होगा। जैसा कि शुरुआत पूछताछ में तीनों ने पुलिस को बताया भी है।’

वर्मा के अनुसार, अतीक और अशरफ को मारने के बाद हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाए। ऐसे में यूपी सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ ये कोई बड़ी साजिश भी हो सकती है। प्रदेश सरकार को बदनाम करने की नियत से किसी ने ऐसा करवाया होगा। अतीक और अशरफ को लेकर इस वक्त पूरे देश में चर्चा है। ऐसे में किसी ने जानबूझकर इस तरह की घटना को अंजाम दिलवाया हो और धार्मिक नारा भी लगवाया हो।

कई रसूखदारों का राज खोल सकते थे अतीक और अशरफ
इस दुस्साहसिक दोहरे हत्याकांड के पीछे शक की सूई रसूखदार सफेदपोशों की ओर घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था। आशंका है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की जान ली जा सकती है। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है। अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए और प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम गिनाए थे।

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यह वो नाम हैं जिन्होंने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक सेल कंपनियों के बारे में पता चला था। रियल एस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपाने वालों के अलावा कई सफेदपेशों तक आंच आने लगी थी। इस तरह के 50 से अधिक नामों का अतीक ने खुलासा किया था।

अपराध की दुनिया में दखल रखने वाले माफिया के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी रिश्ते रहे हैं। अतीक राजनीतिक दलों को साधने में भी बखूबी माहिर था। यही वजह थी कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस का अधिकारी उसके सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे।

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