World Autism Awareness Day : क्या है ऑटिज्म की बीमारी? इन बॉलीवुड फिल्मों को देख समझ जाएंगे पूरी प्रॉब्लम…पढ़िए

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस क्या है? हर साल क्यों 2 अप्रैल को इसे मनाया जाता है? ऐसे कई सवालों के जवाब हैं, जिनकी तलाश आपको भी होगी. आप भले ही ऑटिज्म जागरूकता दिवस के बारे में डायरेक्ट न जानते हों, लेकिन फिल्मों के माध्यम से आपने जरूर इसके बारे में देखा, समझा या सुना होगा. ऑटिज्म एक मानसिक रोग है, जिसके हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण होते हैं.



ज्यादातर देखा गया है कि ऑटिज्म के लक्षण बच्चों के शुरुआती जीवन में ही दिखने लगते हैं. इससे पीड़ित बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है और वो लोगों के मिलने जुलने से भी करताते हैं. आपने आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ तो देखी ही होगी, क्या आपको ईशान अवस्थी याद है?

तारे जमीन पर (Taare Zameen Par)

ऑटिज्म की बीमारी पर हॉलीवुड और बॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं. भारत में सबसे पॉपुलर फिल्म ‘तारे जमीन पर’ थी, जिसमें ईशान अवस्थी को इसी मानसिक बीमारी का रोगी दिखाया गया है. फिल्म में आमिर खान और चाइल्ड एक्टर दर्शील सफारी स्टारर फिल्म ने एक बच्चे की लाइफ के कई प्रॉब्लम्स को दिखाया गया था, जो ऑटिज्म से पीड़ित होता है. बच्चे के संघर्ष और कठिनाइयों को दूर करने की लड़ाई को फिल्म में एक अद्भुत कहानी के साथ खूबसूरती से दर्शाया गया है.

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बर्फी (Barfi)

रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा और इलियाना डी’क्रूज स्टारर फिल्म ‘बर्फी’ में भी इसी मानसिक बीमारी को बड़ी सरलता से समझाया गया था. प्रियंका ऑटिस्टिक पीड़ित लड़की का किरदार निभाती हैं. फिल्म में प्रियंका की तकलीफ, परेशानी और लाइफ की चुनौतियों को दिखाया गया है. फिल्म में प्रियंका को वॉशरूम जाने जैसे नॉर्मल काम करने में भी दिक्कत होती है.

कोई मिल गया (Koi Mil Gaya)
ऋतिक रोशन का किरदार ‘रोहित’ को भला कोई कैसे भूल सकता है. एक लड़का जो शरीर से तो बड़ा है, लेकिन दिमागी रूप से अभी भी बच्चा है. फिल्म में ऑटिज्म सिंड्रोम से पीड़ित एक मानसिक रूप से बीमारी लड़के के संघर्ष को दिखाया गया है. ऐसे बच्चों को अक्सर क्लास और समाज में धमकाया जाता है जिससे उनकी लाइफ कहीं थम सी जाती है.

माइ नेम इज खान (My Name is Khan)
शाहरुख खान की फिल्म ‘माइ नेम इज खान’ ऑटिज्म से पीड़ित एक शख्स के इर्द-गिर्द घूमती है. शाहरुख को उनकी एक्टिंग के लिए दुनियाभर से तारीफ मिली. रिपोर्टों के अनुसार, अपने कैरेक्टर को समझने के लिए शाहरुख को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था.

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अपना आसमान (Apna Asmaan)
दिवंगत एक्टर इरफान खान स्टारर फिल्म ‘अपना आसमान’ एक कपल और उनके बेटे के बीच की कहानी है, जो मानसिक बीमारी से पीड़ित है. मुसीबतें कपल को एक खराब रिश्ते की ओर ले जाती है, यही दिखाया गया है. यह फिल्म ऑटिज्म से संबंधित है, एक ऐसा मुद्दा जिसे भारतीय समाज में कभी खुलकर स्वीकार नहीं किया गया.

युवराज (Yuvvraaj)
अनिल कपूर स्टारर फिल्म ‘युवराज’ में उनका किरदार काफी हद तक हॉलीवुड फिल्म ‘रेन मैन’ (1998) पर आधारित था. फिल्म में अनिल कपूर एक संगीत प्रेमी ज्ञानेश की भूमिका निभाते हैं. यह बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में से एक है जिसने ऑटिस्टिक से पीड़ित लोगों के विचारों को गहराई से दुनिया के सामने रखा.

मैं ऐसा ही हूं (Main Aisa Hi Hoon)
हॉलीवुड के पॉपुलर नाटक आई एम सैम (2001) पर आधारित बॉलीवुड फिल्म ‘मैं ऐसा ही हूं’ में अजय देवगन ने इंद्रनील का किरदार निभाया था. इंद्रनील एक सिंगर फादर है, जो ऑटिस्टिक से पीड़ित है और अपनी बेटी गुनगुन से बहुत प्यार करता है. इंद्रनील अपनी बेटी की कस्टडी के लिए उसके नाना से कोर्ट में लड़ाई लड़ता है. हालांकि यह फिल्म आलोचकों की तारीफ हासिल करने में विफल रही, लेकिन इसने एक सुंदर संदेश दिया, जिसमें लिखा था कि स्पेशली चैलेंज्ड लोग प्यार और दया के भूखे होते हैं.

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