लंबे समय बाद दुधसागर फॉल को पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया गया है। इसके साथ ही गोवा टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (GTDC) ने जीप सफारी के लिए टिकट की बुकिंग भी शुरू कर दी है।
बता दें, हर साल 2 अक्टूबर से गोवा जीप सफारी की शुरुआत होती है।
जीप सफारी के लिए कितनी गाड़ियों को जंगल के बीच से होकर भेजा जाएगा, ताकि वन्य जीवों को कोई समस्या ना हो, इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है।
मानसून के समय पर्यटकों और वन्य जीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए GTDC ने दुधसागर फॉल और जंगल में जीप सफारी को बंद कर दिया था। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में GTDC के चेयरमैन गणेश गांवकर ने कुल्लम में पर्यटकों के लिए विभिन्न एक्टिविटिज के शुरू होने की घोषणा करते हुए बताया कि टूरिज्म कॉर्पोरेशन ने एक एजेंसी के साथ संपर्क किया है, जो वाटरफॉल पर सभी एक्टिविटिज को ऑनलाइन मैनेज करेगी।
इसके साथ ही उन्होंने पर्यटकों और ड्राइवरों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्थानीय पंचायतों से टूरिज्म विभाग के साथ डिजिटाइजेशन में सहयोग करने का भी आह्वान किया है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि GTDC पूरे गोवा में सभी ट्रेल्स और ट्रेक की निगरानी करेगा।
सफारी पर कितनी जीप जाती हैं और क्या होता है किराया?
आमतौर पर दुधसागर फॉल की जीप सफारी हर साल 2 अक्टूबर से ही शुरू हो जाती है। Weekdays पर करीब 170 जीपों के जाने की अनुमति होती है। जबकि Weekends पर जीप की संख्या को बढ़ाकर 225 किया जाता है। जंगल के अंदर से होकर कितने जीप गुजरेंगे, जिससे वन्यजीवों को कोई परेशानी ना हो, इसे निर्धारित करने की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है। जीप सफारी कुल मिलाकर करीब 14 किमी लंबा सफर होता है।
इसके लिए केवल रजिटर्ड जीप ऑपरेटर्स को ही वन विभाग सफारी करवाने की अनुमति देता है। हर जीप में करीब 7 यात्रियों को बैठाया जाता है। हर यात्री से ₹500 किराया वसूला जाता है जिससे हर जीप से ऑपरेटर को कुल ₹3,500 की कमाई होती है।
बता दें, इस साल मानसून के समय वन विभाग ने जीप सफारी और दुधसागर फॉल पर बैन लगा दिया था लेकिन पर्यटक और खास तौर पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने दुधसागर फॉल तक पहुंचने का दूसरा रास्ता भी ढूंढ लिया था। वे रेल की पटरियों से होकर दुधसागर फॉल तक पहुंचे थे, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुई थी।