जांजगीर-चाम्पा. प्रशासन द्वारा शासकीय भूमि को सुरक्षित रखने के लिये करीब एक दशक पूर्व लगाये गये लाल झंडा को उखाड़ना और खेती करना। आखिर जाटा गाँव के किसानों को महँगा पड़ा।
मामला सारागाँव तहसील अंतर्गत ग्राम जाटा का है। जहाँ पर एक दशक पूर्व 72 एकड़ शासकीय भूमि को सुरक्षित करने प्रशासन ने लाल झंडा लगाया था। जिसे उखाड़कर यहाँ के किसान लम्बे समय से खेती कर रहें थे। यह खबर लगातार मिडिया में आने के बाद प्रशासन हरकत में आया और 11 दिसंबर को गाँव में कोटवार से मुनादी कराई गईं कि शासकीय भूमि पर अवैध रूप से धान की खेती करने वाले किसान अपना फ़सल नहीं काटेंगे।
मुनादी के पश्चात् 11 दिसंबर से मौके पर तहसीलदार की टीम शासकीय भूमि को चिन्हित करते हुए लाल झंडे लगवाया जा रहा है। धान की फ़सल को जब्त कर लिया गया है, वहीं एक दशक पूर्व कोसमंदा गाँव से ज़ब दो सौ एकड़ शासकीय भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कर प्रशासन ने फ़सल जब्त करने की कार्यवाही की जा चुकी है.
मुनादी के बाद भी फ़सल की कटाई
प्रशासन के निर्देश के बाद कोटवार द्वारा गाँव में शासकीय भूमि से फ़सल नहीं काटने की मुनादी करने के बाद भी कुछ किसान अपने आप को क़ानून से ऊपर बताते हुए धान की कटाई कर लिये हैं और बाकि किसानों की धान खेत में ही पड़ी है। अब देखना यह होगा कि एक दशक पूर्व प्रशासन द्वारा लगाए गए लाल झंडे को उखाड़कर खेती करने वाले किसानो को प्रशासन अभयदान देता है या फिर बेजाकब्ज़ाधारियों की चुनौती को स्वीकार करते हैं। यह तो समय ही बताएगा। बहरहाल तहसीलदार की टीम 72 एकड़ शासकीय भूमि को चिन्हित करके लाल झंडा लगाने और फ़सल जब्त की कार्यवाही कर रही हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी…
जाटा गाँव में बड़े पैमाने पर शासकीय भूमि पर अवैधानिक रूप से बेजाकब्जा करके लम्बे समय से खेती किया जा रहा है। शासकीय भूमि को सुरक्षित करने के उद्देश्य से लाल झंडा लगाई जा रही है और उच्चाधिकारियो के निर्देश प्राप्त होने के बाद फ़सल जब्त करने की कार्यवाही किया जायेगा।
राजकुमार मरावी, तहसीलदार, सारागांव