UPSC CSE 2023: एक साल में कितने IAS चुने जाते हैं, जानें कैसे होती है इनकी ट्रेनिंग?

लोक सेवा आयोग ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 इंटरव्यू का शेड्यूल जारी कर दिया है. मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थी अब साक्षात्कार में शामिल होंगे और इंटरव्यू में सफल होने के बाद उनका फाइनल चयन किया जाता है.



 

 

 

इंटरव्यू 2 जनवरी 2024 से शुरू होगा. यह देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी है. हर वर्ष यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में लाखों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं. सभी का सपना IAS और IPS बनने का होता है. आइए जानते हैं कि हर वर्ष देश में कितने आईएएस चुने जाते हैं और इनकी ट्रेनिंग कैसे होती है.

 

 

 

 

यूपीएससी का क्रेज देश में इतना ज्यादा है कि IIT कर लाखों रुपए के पैकेज की नौकरी छोड़कर युवा इसकी तैयारी करते हैं और परीक्षा पास कर आईएएस बनते हैं. यूपीएससी की ओर से हर साल चयनित आईएएस अधिकारियों की संख्या 180 निर्धारित की गई है. समिति को केंद्र सरकार ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा के प्रारूप, आयु सीमा, चयन आदि पर सिफारिशें करने के लिए गठित की थी. परीक्षा पास करने के बाद इन्हें कई चरण की ट्रेनिंग से गुजरना होता है और उसके बाद इन्हें तैनाती दी जाती है.

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कहां होती है IAS की ट्रेनिंग?

 

आईएएस की ट्रेनिंग मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में होती है. आईएएस के पदों पर चयनित युवाओं को दो साल की ट्रेनिंग दी जाती है. प्रशिक्षण के शुरूआती तीन महीनों ने आईएएस को आईपीएस के साथ ट्रेनिंग दी जाती है. उसके बाद आईएएस और आईपीएस की ट्रेनिंग अलग-अलग होती है. आईपीएस को आगे के प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद भेज दिया जाता है.

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तीन चरणों में होता है ट्रेनिंग

 

ट्रेनिंग के पहले चरण में फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है. इसमें आईएएस पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को प्रशासनिक स्किल का प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही कई एक्टिविटी भी कराई जाती है. सभी में हिस्सा लेना अनिवार्य होता है. वहीं प्रशिक्षण के दूसरे चरण में इन्हें प्रोफेशनल की ट्रेनिंग की जाती है. इसमें कैंडिडेट्स को हर क्षेत्र से जुड़ी अहम जानकारियां दी जाती हैं. इसमें सभी सेक्टर शामिल होते हैं.

 

 

 

 

अब आता है तीसरा चरण इसमें चयनित अभ्यर्थियों को उनके स्टेट कैडर में भेजा जाता है, जहां उन्हें उस राज्य की भाषा और वहां के लोगों के तौर तकीरों का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे की तैनाती के बाद उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो और वह लोगों की समस्याओं को आसानी से समझ सकें और उसका समाधान कर सकें. स्टेट कैडर ट्रेनिंग के बाद इन्हें फिर मसूरी आना होता है और इनकी तैनाती की जाती है.

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