Janjgir Judgement : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जांजगीर का बड़ा आदेश, बाइक कम्पनी के खिलाफ आया आदेश, ये कहा आदेश में…

जांजगीर-चाम्पा. नई मोटरसाइकिल में उत्पादक त्रुटि पाए जाने पर शिकायतकर्ता/ उपभोक्ता को नई मोटरसाइकिल या उसकी कीमत 1,67,500/- तथा मानसिक संताप का ₹10,000/- व वाद का खर्च ₹2,000/- सहित देने का आदेश।



उपभोक्ता शिकायतकर्ता आशीष राठौर पिता रवि शंकर राठौर आईबी रेस्ट हाउस के पास जांजगीर ने एक नई मोटरसाइकिल रोनिन क्र. सी जी 04 पी डी 2476 पीआरएल मोटर्स भारत टीवीएस रायपुर से खरीदी, लेकिन खरीदने के तुरंत बाद ही मोटरसाइकिल में खराबी आ गई आपातकालीन लाइट जलने लगी, दिखाने पर उसे ठीक किया गया, परंतु कुछ दिनों बाद फिर से मोटरसाइकिल में समस्या आ गई गियर बॉक्स, बैटरी में भी समस्या आ गई.

बार-बार समस्या आ जाने का कोई संतोष जनक कारण नहीं बताया गया । उपभोक्ता/ शिकायतकर्ता ने खराब मोटरसाइकिल की जगह नई मोटरसाइकिल देने या उसकी कीमत देने का निवेदन किया, परंतु उपभोक्ता को मना कर दिया गया और बोला गया कि हम ना तो मोटरसाइकिल बदल सकते हैं और ना ही उसकी कीमत दे सकते हैं । उपभोक्ता/ शिकायतकर्ता ने कंपनी के कस्टमर केयर से भी बात की, परंतु उसकी समस्या का निदान नहीं हुआ ।

अंत में परेशान होने पर उपभोक्ता/ शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग जांजगीर के समक्ष पी आर एल मोटर्स लिमिटेड भारत टीवीएस रायपुर तथा टीवीएस मोटर कंपनी लिमिटेड हरिता होसुर तमिलनाडु के विरूद्ध शिकायत दर्ज कराई । जिला उपभोक्ता आयोग जांजगीर के अध्यक्ष प्रशांत कुंडू , सदस्य श्री विशाल तिवारी ने उपभोक्ता/ शिकायतकर्ता के द्वारा पेश शपथ पत्र व दस्तावेजों का गहराई से अध्ययन कर पाया कि मोटरसाइकिल में खरीदने के बाद से ही तुरंत समस्या का जाना तथा कंपनी के द्वारा उसे ठीक ना कर पाना प्रमाणित करता है की मोटरसाइकिल में उत्पादक त्रुटि थी । विरुद्धपक्षकारगण ने समस्या का निदान न कर सेवा में कमी की है।

आयोग ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत पेश शिकायत को स्वीकार कर विरुद्धपक्षकारगण पी आर एल मोटर्स लिमिटेड भारत टीवीएस रायपुर तथा टीवीएस मोटर कंपनी लिमिटेड हरिता होसुर तमिलनाडु को उपभोक्ता/ शिकायतकर्ता को उसी माडल की नई मोटरसाइकिल या उसका मुल्य 1,67,500/- तथा मानसिक संताप का ₹10,000/- व वाद का खर्च ₹2,000/- आदेश दिनांक 45 दिनों के भीतर देने का आदेश दिया । समय पर आदेश का पालन नहीं करने पर आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 6% वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया गया ।

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