वो जगह, जहां की मिट्टी मसालों की तरह खाते हैं लोग, ख‍न‍िजों का भंडार है यहां, लेकिन…

हम बात कर रहे दक्षिणी ईरान में बसे होर्मुज द्वीप की, ज‍िसे रैनबो आइलैंड (Hormuz Rainbow Island) के नाम से भी जाना जाता है. गेरू रंग की जलधाराओं, लाल रंग के समुद्र तटों और मनमोहक नमक की गुफाओं वाला यह द्वीप आपको एक डिज्‍नीलैंड की तरह दिखेगा.



 

 

 

रूबी-लाल पहाड़ वाला यह आइलैंड वर्षों से पर्यटकों के ल‍िए आकर्षण का केंद्र रहा है. आंसुओं के बूंंद के आकार का यह आइलैंड नमक का गुंबद है, जो शेल, मिट्टी और लौह युक्‍त ज्वालामुखीय चट्टानों की परतों से बना है. दूर से यह लाल, पीले और नारंगी रंग में चमकता नजर आता है.

 

 

रूबी-लाल पहाड़ वाला यह आइलैंड वर्षों से पर्यटकों के ल‍िए आकर्षण का केंद्र रहा है. आंसुओं के बूंंद के आकार का यह आइलैंड नमक का गुंबद है, जो शेल, मिट्टी और लौह युक्‍त ज्वालामुखीय चट्टानों की परतों से बना है. दूर से यह लाल, पीले और नारंगी रंग में चमकता नजर आता है.

इसे भी पढ़े -  Sakti News : गोवर्धन पूजा पर मालखरौदा जनपद पंचायत अध्यक्ष कवि वर्मा ने कलमी गांव में गौ माता की पूजा-अर्चना, गौ माता को कराया भोजन

 

 

42 वर्ग क‍िलोमीटर में फैले होर्मुज द्वीप में 70 से अधिक खनिज पाए जाते हैं. भू वैज्ञान‍िकों के मुताबिक, सैकड़ों लाखों साल पहले, उथले समुद्रों ने फारस की खाड़ी के किनारों के आसपास नमक की मोटी परतें बनाई थीं. ये परतें धीरे-धीरे टकराईं और खन‍िजों से भरे एक रंगीन भूभाग का निर्माण हुआ.

 

 

 

 

जमीन के कई किलोमीटर नीचे नमक की ये मोटी परतें आज भी मौजूद हैं. गेरू रंग की जलधाराण्‍ं, लाल रंग के समुद्रतट और नमक की मनमोहक गुफाएं आपस में मिली हुई हैं. इसी वजह से होर्मुज द्वीप को इंद्रधनुष द्वीप भी कहा जाता है. क्योंकि इससे निकलने वाले रंगों का स्पेक्ट्रम बनता नजर आता है.

 

 

 

 

यहां की लाल मिट्टी हेमेटाइट के कारण लाल नजर आती है. इसे गेलैक के नाम से जानते हैं. यह द्वीप के ज्वालामुखीय चट्टानों से प्राप्त होती है. आप जानकर हैरान होंगे क‍ि इस मिट्टी का इस्‍तेमाल लोग खाने में मसालों की तरह भी करते हैं. यह करी को एक मिट्टी जैसा सौंधा सौंधा स्‍वाद देता है. कुछ लोग तो रोटी के साथ भी इसे खाते हैं.

इसे भी पढ़े -  Sakti News : बड़ेसीपत गांव में रजत जयंती के अवसर पर किसान सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित, मालखरौदा जनपद अध्यक्ष कवि वर्मा, उपाध्यक्ष रितेश साहू हुए शामिल, शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील

 

 

रिपोर्ट के मुताबिक, स्‍थानीय लोग बताते हैं क‍ि लाल मिट्टी का उपयोग सॉस के रूप में किया जाता है. इस सॉस को स्‍थानीय भाषा में सोरख कहा जाता है. इसके अलावा स्थानीय कलाकार इस मिट्टी से पेंटिंग, रंगाई, चीनी मिट्टी की चीजें और सौंदर्य प्रसाधनों का निर्माण भी किया जाता है.

 

 

द्वीप के पश्चिम में एक शानदार नमक का पहाड़ है जिसे नमक की देवी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी गुफाएं एक किलोमीटर से अधिक फैली हुई हैं. इसकी दीवारें तेज धार वाली चमकदार नमक क्रिस्टल से ढकी हुई हैं. दूर से देखने पर यह संगमरमर के महल की तरह नजर आती हैं.

इसे भी पढ़े -  Sakti News : बड़ेसीपत गांव में रजत जयंती के अवसर पर किसान सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित, मालखरौदा जनपद अध्यक्ष कवि वर्मा, उपाध्यक्ष रितेश साहू हुए शामिल, शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील

error: Content is protected !!