धान की जगह किसान करें इन ‘सुनहरे दानों’ की खेती, कम बारिश, कम जमीन में मिलेगा डबल मुनाफा

कोडरमा. इन दिनों लोग सेहत के प्रति सजग हो गए हैं. ऐसे में पौष्टिक भोजन की तलाश में रहते हैं. ऐसे में बाजार में गोल्डन बीन की डिमांड तेजी से बढ़ी है. गोल्डन बीन के नाम से मशहूर सोयाबीन की खेती भी फायदेमंद है. यह फसल किसान को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है. यह खेती पारंपरिक खेती से अलग है. खास बात ये कि इस फसल को कम जमीन, कम पानी में ज्यादा उगा सकते हैं और बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.



 

 

 

कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के वरीय कृषि वैज्ञानिक  ने बताया कि जलवायु परिवर्तन होने की वजह से कई बार समय पर बारिश नहीं होती है. ऐसे में किसानों को मौसमी फसलों में नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार समय पर बारिश नहीं होने से धान की फसल को भारी नुकसान होता है. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में किसान सोयाबीन की खेती कर अपने नुकसान को कम और मुनाफे को बढ़ा सकते हैं.

 

 

 

बेहतर उत्पादन के लिए इन बीज का करें चयन

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि किसान को कम लागत में अधिक मुनाफे के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा मध्य प्रदेश के जबलपुर से सोयाबीन की उन्नत किस्म तैयार की गई है. इसमें जेएस 2036, जेएस 2095, जेएस 355 वैरायटी शामिल है. इसका उपयोग कर किसान बेहतर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. बताया कि सोयाबीन की खेती हमेशा ऊंची भूमि वाले खेत में करनी चाहिए. सोयाबीन का बीज लगाने का सबसे बेहतर समय मई-जून में होने वाली पहली बारिश है. पहली बारिश में जब खेत में नमी आ जाती है, तब इसकी बुआई करनी चाहिए. सोयाबीन की खेती के समय खेत में पानी का जलजमाव नहीं होना चाहिए.

 

 

 

 

पौधों के बीच इतनी रखें दूरी, इतनी मात्रा में डालें खाद

आगे बताया कि सोयाबीन के बीज की बुआई के समय पौधे से पौधे की दूरी 5 से 10 सेंटीमीटर, लाइन से लाइन की दूरी 45 से 50 सेमी रखने से पौधों को भरपूर पोषण मिलता है और किसान को बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है. एक हेक्टेयर में किसान को 25 से 30 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है. इसके लिए किसानों को 1 हेक्टेयर में 40 से 50 किलो डीएपी, 40 से 50 किलो पोटाश और 80 किलो यूरिया की आवश्यकता पड़ती है. यूरिया का उपयोग थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तीन बार करना चाहिए. एक हेक्टेयर में करीब 12 से 15 किलो यूरिया बुआई के समय उसके बाद 25 से 30 किलो यूरिया पौधे के विकास के समय और 40 से 50 किलो यूरिया पौधे में जब फूल लग जाते हैं, उस समय देना चाहिए.

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