हिंदू धर्म में लोगों के घर बहुत से देवी-देवताओं की तस्वीरें और मूर्तियां होती हैं. जिसमें ज्यादातर देवता खड़े दिखाई देते हैं या फिर बैठे हुए लेकिन एकमात्र भगवान विष्णु की तस्वीरों में वह अक्सर सोते हुई मुद्रा में नज़र आते हैं.
इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. जिनका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है.
4 महीने तक सोते हैं भगवान विष्णु
भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन 4 महीने के लिए सो जाते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु जब तक सोते हैं उन दिनों में कोई भी शुभ काम जैसे शादी, जनेऊ, मुंडन, मकान की नींव डालने का काम नहीं किया जाता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों भगवान विष्णु को इतने लंबे समय के लिए सोना पड़ता है.
4 महीने तक सोने का रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य जमा लिया था. जिससे घबराकर इंद्रदेव भगवान विष्णु के पास पहुंचे और बताया कि राजा बलि ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया है. उस समय भगवान विष्णु वामन का रूप धारण कर राजा बलि से दान मांगने पहुंच गए. उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी. दो पग में भगवान वामन ने धरती और आसमान को नाप लिया और राजा बलि से पूछा कि तीसरा पैर कहां रखें. तो उन्होंने कहा कि मेरे सिर पर रख दीजिए.
इस तरह भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लेकर बलि से तीनों लोकों को मुक्त कराया और देवराज इंद्र का भय दूर किया. वहीं राजा बलि के दानशीलता और भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने वर मांगने के लिए कहा, बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ पाताल चलकर हमेशा वहीं रहने का वर मांगा.
मां लक्ष्मी ने दिलाई पाताल से मुक्ति
भगवान विष्णु अपने भक्त बलि का वरदान पूरा करने के लिए उसके साथ पाताल लोक में रहने के लिए चले गए. विष्णु जी के पाताल जाने से सभी देवी देवता और माता लक्ष्मी चिंतित हो गए. माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्ति दिलाने के लिए एक चाल चली और एक गरीब स्त्री का रूप धारण कर राजा बलि को राखी बांधी और राजा बालि से उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को छुड़ाने का वचन मांगा.