नई दिल्ली: ‘पढ़ाई में तो काफी तेज हो, ग्रेजुएशन भी हो गई है… प्राइवेट नौकरी कब तक करोगी। तुम्हें यूपीएससी की तैयारी करनी चाहिए।’ हरियाणा के अंबाला में रहने वाली आकृति सेठी को जब उसके एक रिश्तेदार ने ये सलाह दी, तो वो सोच में पड़ गई। आखिर वो कैसे इतना बड़ा फैसला ले? यूपीएससी कोई आम परीक्षा तो है नहीं, जिसकी आज तैयारी करें और कल एग्जाम देने पहुंच जाएं। लंबी तैयारी करनी होगी, बहुत ज्यादा पढ़ना पड़ेगा… शायद नौकरी भी छोड़नी पड़े। नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी भी क्लियर ना कर पाई तो फिर आगे क्या होगा? पूरे करियर का मामला है। ऐसे बहुत सारे सवाल थे, जो आकृति के दिमाग में घूम रहे थे।



ये कहानी है उस आकृति सेठी की, जिसने अपने एक रिश्तेदार के कहने पर यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला तो ले लिया, लेकिन वो लगातार पांच साल तक प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाई। जरा सोचकर देखिए कि आप आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं और पूरी शिद्दत के साथ कोशिश करने के बावजदू लगातार फेल होते जाते हैं। फेल भी एक-दो बार नहीं, बल्कि पूरे पांच बार। और इस पांचवीं बार के बाद, आपके पास केवल एक आखिरी मौका बचे तो क्या होगा? किसी इंसान की हिम्मत को तोड़ने के लिए असफलता की एक ही मार काफी होती है, फिर आकृति ने तो पांच बार इस असफलता को झेला। लेकिन, छठीं कोशिश में उनकी कहानी ने एक नया मोड़ ले लिया
बहन की शादी के बाद छोड़ दी नौकरी
पढ़ाई-लिखाई को लेकर आकृति की पहचान हमेशा आगे रहने वाली छात्राओं में थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी से आकृति ने ग्रेजुएशन किया और इसके बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगीं। नौकरी के साथ ही आकृति ने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी कर ली। उसने कभी नहीं सोचा था कि वो यूपीएससी की तरफ जाएगी, लेकिन जब एक रिश्तेदार ने कहा तो आकृति ने बड़ी बहन की शादी के अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी। इंडियन मास्टरमाइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वो साल 2017 था, जब आकृति ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी। वो प्रीलिम्स परीक्षा में ही फेल हो गईं और लगने लगा कि कहीं नौकरी छोड़कर उन्होंने कोई गलती तो नहीं कर दी।
पांच साल की वो नाकामयाबी
परिवार के लोगों से सपोर्ट मिला, तो आकृति ने अगले साल फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। लेकिन नतीजा इस बार भी वही रहा। आकृति प्रीलिम्स परीक्षा नहीं निकाल पाईं। इसके बाद लगातार पांच साल तक यही सिलसिला जारी रहा और वो 2021 तक फेल होती रहीं। इस मोड़ पर आकर आकृति को एक डर सताने लगा। वो अपनी प्राइवेट नौकरी से अच्छी खासी कमाई कर रही थीं, लेकिन अब उनके पास नौकरी नहीं थी। उनके दोस्त और चचेरे भाई करियर और पैसे के मामले में आगे बढ़ रहे थे। आकृति को डर था कि कहीं वे पीछे ना छूट जाएं। उनके यार दोस्त भी इतने नहीं थे कि अगर इस वक्त वो करियर बदलने का फैसला लें तो आसानी से नौकरी मिल जाए।
पिता के शब्दों से मिल गई हिम्मत
ऐसे नाजुक वक्त पर आकृति के सामने उनके पिता का चेहरा आया। उनके पिता ने कभी उनके ऊपर किसी चीज के लिए दबाव नहीं डाला था। यहां तक कि अगर कोई उनकी शादी के बारे में भी पूछता, तो वे उसे चुप करा देते थे। आकृति जब भी परीक्षा देने जातीं, तो उनके पिता भी साथ रहते। उनकी हर नाकामयाबी के बाद पिता कहते कि कोई बात नहीं, अगली बार अच्छा कर लेना। वो आकृति से अक्सर कहते, अपने मन को ठीक रखो, अगर मन ठीक है, तो सबकुछ ठीक होगा। बस यहीं से आकृति को छठीं बार यूपीएससी परीक्षा देने की हिम्मत मिल गई और एक बार फिर उन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी।।
यूपीएससी के लिए साल 2022 में आकृति का आखिरी प्रयास था। परिवार के सपोर्ट के साथ उन्होंने परीक्षा दी और जब अगले साल रिजल्ट घोषित हुआ तो पूरे परिवार की आंखों में खुशी के आंसू थे। आकृति ने परीक्षा में 249वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर कोई ऐसा व्यक्ति आपके साथ है जो आपको रास्ता दिखा सकता है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं। बस जरूरत है खुद के ऊपर भरोसा बनाए रखने की। आकृति बताती हैं कि हमें अपने ऊपर हमेशा ये भरोसा रखना चाहिए कि हां हम कुछ भी कर सकते हैं।






