एक मंदिर में देवी को रजस्वला होता है, तो दूसरे मंदिर में चूहे का जूठा प्रसाद खाया जाता है। एक और मंदिर ऐसा है जहाँ देवी अग्नि स्नान करती है। ऐसे ही अद्भुत रहस्यों से भरे इन 5 मंदिरों के दर्शन हर हिन्दू को जरूर करने चाहिए…
कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक है। इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी है। विशेष अवसरों पर यहां हजारों की संख्या में तांत्रिक एकत्रित होते हैं।
कामाख्या में हर दिन हजारों जानवरों और पक्षियों की बलि दी जाती है। कहा जाता है कि एक समय यहां नरबलि भी दी जाती थी, जिसे बाद में बंद कर दिया गया। वर्तमान में यहां बकरे, मुर्गे, मछली, कबूतर आदि की बलि देने की प्रथा है.
कामाख्या मंदिर साल भर भक्तों के लिए खुला रहता है, लेकिन साल में 3 दिनों के लिए यह मंदिर बंद कर दिया जाता है। माना जाता है कि इन 3 दिनों देवी रजस्वला होती हैं। इस दौरान मंदिर में स्थित योनि कुंड से लाल रंग का पानी निकलता है। इन 3 दिनों पुजारी भी मंदिर में प्रवेश नहीं करते हैं। इन 3 दिनों यहां एक मेला लगता है, जिसे अम्बुबाची मेला कहा जाता है।
हमारे देश में शनि देव के अनेक मंदिर हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध है शनि शिंगणापुर मंदिर। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां शनि देव की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि 5 फीट ऊंचा और 2 फीट चौड़ा एक पत्थर का स्लैब है। इसे ही शनि देव के रूप में पूजा जाता है।
इस मंदिर से जुड़ी एक और खास बात यह है कि यहां शनि देव की मूर्ति पर कोई छत नहीं है। यह मूर्ति खुले आसमान के नीचे एक चबूतरे पर स्थित है। कहा जाता है कि शनि की मूर्ति पर छत बनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। तब से भक्त शनि देव की पूजा इसी रूप में करते आ रहे हैं।
शनि देव का यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित शिंगणापुर गांव में है। मान्यता है कि इस गांव की रक्षा स्वयं शनि देव करते हैं। इस गांव में लोग अपने घरों में ताले नहीं लगाते हैं। यहां तक कि पैसे और जेवर जैसी कीमती चीजें भी तिजोरी में नहीं रखते हैं। मान्यता है कि यहां कोई चोरी करता है तो उसे शनि देव दंड देते हैं।
करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में 20 हजार से भी ज्यादा चूहे रहते हैं। इसीलिए इसे चूहों का मंदिर कहा जाता है। लोग इन्हें देवी का भक्त मानते हैं।
यहां सबसे पहले चूहों को प्रसाद का भोग लगाया जाता है। इस प्रसाद को लोग और भी ज्यादा विशेष मानते हैं। हैरानी की बात यह है कि चूहों द्वारा जूठा किया गया प्रसाद खाने से आज तक कोई बीमार नहीं पड़ा।
यहां हजारों की संख्या में काले चूहे तो हैं ही, लेकिन सफेद चूहों की संख्या बहुत कम है। ये बहुत कम ही दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सफेद चूहे को देख ले तो समझ लेना चाहिए कि उस पर देवी की कृपा हुई है और उसके जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
राजस्थान के उदयपुर जिले में बम्बोरा नामक एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे इडाना माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां अचानक आग लग जाती है। मान्यता है कि देवी यहां स्वयं अग्नि स्नान करती हैं। देवी के इस चमत्कार को देखकर सभी नतमस्तक हो जाते हैं।
इस मंदिर में अचानक कैसे आग लगती है, इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है। नवरात्रि और अन्य विशेष अवसरों पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.
इस मंदिर में जब आग लगती है तो देवी के सारे वस्त्र जल जाते हैं। लेकिन मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित रहती है। यह आग बहुत ही भयानक होती है और इसकी लपटें 20 से 25 फीट ऊंची तक उठती हैं। लेकिन फिर भी देवी की मूर्ति का सुरक्षित रहना एक रहस्य बना हुआ है।
कर्नाटक के हासन जिले में हसनम्बा माता का मंदिर स्थित है। यह मंदिर साल में सिर्फ 7 दिनों के लिए ही खुलता है, वो भी दीपावली के मौके पर। बाकी पूरे साल यह मंदिर बंद रहता है। इन 7 दिनों में यहां भारी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है।
जब यह मंदिर बंद होता है तो यहां एक दीया जलाया जाता है, जिसे तेल से भर दिया जाता है। एक साल बाद जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो वह दीया जलता हुआ ही मिलता है, जबकि उस दीये में सीमित मात्रा में ही तेल डाला जाता है। आज तक इस रहस्य को कोई नहीं समझ पाया है।
इस मंदिर से जुड़ी एक और खास बात यह है कि जब मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं, उस समय यहां देवी को जो फूल चढ़ाए जाते हैं, वो एक साल बाद भी बिल्कुल ताजे दिखाई देते हैं। यानी वो फूल मुरझाते नहीं हैं। उनकी ताजगी ज्यों की त्यों बनी रहती है।
Disclaimer- इस लेख में दी गई जानकारी ज्योतिषियों, पंचांग, ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित है। खबर सीजी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है।