आखिर क्यों अमेरिका, दुबई और सिंगापूर से कोचिंग के लिए कोटा आते हैं लोग, जाने बड़ा सच..

राजस्थान को विश्वभर में किलों, महलों, पर्यटक स्थलों और राजसी ठाट-भाट एवं संस्कृति के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप राजस्थान के उस शहर के बारे में जानते हैं जिसने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा, बेहतर और इंटेलिजेंट इंजीनियर एवं डॉक्टर्स दिए हैं।



 

 

 

हम आपको एजुकेशन सिटी के नाम से मशहूर राजस्थान के कोटा शहर के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आईये आपको लेकर चलें उस शहर के सफर पर जिसने अपनी अद्वितीय शिक्षण पद्धतियों के जरिये छात्रों को सफलता की हर ऊँचाइयों तक पहुंचाया है.

 

 

 

भारत के केंद्र में स्थित कोटा एक वैश्विक शिक्षा हब के रूप में उभरा है, जो अपने विश्वस्तरीय कोचिंग संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है। अपनी शैक्षणिक प्रवीणता से परे कोटा एक जीवंत और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध अनुभव प्रदान करता है। कोटा के ऐतिहासिक स्थल, प्राकृतिक सुंदरता और स्थानीय व्यंजन छात्रों को उनके शैक्षणिक दंगल के बीच आराम करने और फिर से जीवंत होने के लिए एक आदर्श संतुलन प्रदान करते हैं। एजुकेशन सिटी कहा जाने वाला कोटा शहर चंबल नदी के किनारे बसा हुआ है। इस ऐतिहासिक शहर को पहले कोटाह नाम से जाना जाता था। शिक्षा नगरी और हाड़ोती के व्यापार केंद्र के रूप में प्रसिद्ध ये शहर क्षेत्रफल और बारह लाख लोगों के साथ जनसँख्या के आधार पर जयपुर और जोधपुर के बाद राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। हाडा राजपूतों की जन्म भूमि कहलाने वाला ये शहर लगभग 222 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। शहर के इतिहास की बात करें तो पहले कोटा बूंदी रियासत का हिस्सा हुआ करता था, जो 16वी शताब्दी के मध्य में बूंदी से अलग हो एक स्वत्रंत राज्य बन गया था।

 

 

 

एक जमाने में राजस्थान का उद्योग नगर कहलाने वाला कोटा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अब कोचिंग सिटी कोटा के नाम से पहचाना जाता है. उलटी दिशा यानी दक्षिण से उत्तर में बहने वाली चंबल यहां की लाइफ लाइन है. कोटा देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां पानी, परमाणु गैस और कोयला आधारित बिजली उत्पादन केंद्र है. कोटा में कई इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेस एग्ज़ाम की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान हैं जिसके चलते इस शहर को ‘एजुकेशन हब’ भी कहा जाने लगा है। यहां हर साल लाखों की संख्या में बच्चे एंट्रेस एग्ज़ाम की तैयारी करने के लिए आते हैं। बच्चों की भारी संख्या के साथ कोटा में कोचिंग का कारोबार भी 6 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और दिनो-दिन बढ़ता ही जा रहा है। कोटा शहर की पूरी अर्थव्यवस्था अब इन कोचिंग संस्थानों पर ही निर्भर हो चुकी है। इसके साथ ही कोटा स्टोन और चंबल के पानी की तासीर के चलते कचौड़ियों के लिए प्रसिद्ध कोटा में बीते दो दशक के दौरान कोचिंग कारोबार ने रियल एस्टेट कारोबार में भी उछाल ला दिया है।

 

 

 

कोटा शहर की कोचिंग हब बनने की यात्रा तब शुरू हुई, जब पेशे से इंजीनियर वीके बंसल ने 1985 के बीच कोटा में जेके सिंथेटिक्स में अपना काम छोड़ा और अपने घर पर छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। वह गणित पढ़ाने के साथ-साथ छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा पास करने की सलाह भी देते थे। साल दर साल इनके छात्रों के सिलेक्शन की संख्या बढ़ती गई, जिसके बाद उन्होंने इंस्टीट्यूट की स्थापना की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1991 तक कोटा में गिने-चुने ही कोचिंग क्लासेज हुआ करते थे। लेकिन इस दौरान यहां एक कोचिंग के 10 छात्रों का चयन आईआईटी में हो गया। इसके बाद अगले साल यहां 50 छात्र आईआईटी में चुने गए और इसके बाद ये कारवां इसी तरह से चल पड़ा। वैसे तो कोटा में बहुत सारे कोचिंग सेंटर हैं, लेकिन कुछ संस्थानों ने ज्यादा प्रसिद्धि पाई है।

 

 

 

कोटा के कुछ सबसे प्रसिद्ध कोचिंग संस्थानों, उनके कोर्स और फीस के बारे में भी जान लेते हैं। कोटा में आईआईटी, जेईई और ट्रिपलई की तैयारी के लिए सैकड़ों कोचिंग सेंटर हैं, जो शहर के नए हिस्से के रूप में जाने जाने वाले तलमंडी, विज्ञान नगर, जवाहर नगर, महावीर नगर, इंद्रप्रस्थ इंड्रस्टियल एरिया और राजीव गाँधी नगर में मुख्य रूप से फैले हुए हैं। कोटा का सबसे पुराना और विश्वसनीय कोचिंग सेंटर बंसल क्लासेस को माना जाता है, जो मुख्य रूप से आईआईटी, जेईई और नीट के लिए कोचिंग प्रदान करता है। इसके अलावा स्टूडेंट्स के आधार पर यहां का सबसे बड़ा कोचिंग सेंटर एलन इंस्टीट्यूट है, जो मुख्य रूप से आईआईटी, जेईई और नीट की तैयारी कराता है, एलन में दोनों तरह की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए लगभग 1 से 2 लाख रुपए फीस चुकानी पड़ती है। कोटा में आईआईटी जेईई कोचिंग संस्थानों की सूची में करियर पॉइंट भी एक प्रसिद्ध नाम है। वहीँ कोटा के साथ पुरे देश में आकाश इंस्टिट्यूट भी अपनी नीट की तैयारी के लिए काफी मशहूर है। नीट, जेईई और CLAT जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स की तैयारी करवाने वाला यहां का रेजोनेंस भी पूरे देश में सिलेक्शन के आधार पर काफी अहम माना जाता है। इन सभी कोचिंग संस्थानों में स्टूडेंट्स को करीब डेड से दो लाख तक की फीस का भुगतान करना होता है।

 

 

 

कोटा में हर साल लगभग 2,50,000 छात्र अलग-अलग क्षेत्रों की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं। शहर में स्टूडेंट्स की भारी तादात को देखते हुए कुछ राष्टीय स्तर की कोचिंग ने भी कोटा में अपने सेंटर्स खोले हैं, इन कोचिंग संस्थानों में नीट और जेईई परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुख्य रूप से अनएकेडमी, फिजिक्स वाला, नारायणा और वेदांतु आदि शामिल है। इन कोचिंग संस्थानों में आईआईटी और जेईई के लिए फीस 1,55,000 के करीब और नीट के लिए फीस लगभग 1,35,000 है।

 

 

कोटा में स्टूडेंट्स की पढ़ाई के अलावा रहने के लिए भी बड़े लेवल पर इंतजाम हैं। कोटा की 70 फीसदी इकॉनोमी स्टूडेंट्स की ओर से किए जाने वाले खर्च पर निर्भर है। यहां करीब 10 हजार हॉस्टल, 2,500 से ज्यादा PG और करीब 1,800 मेस, कैफे, टिफिन सेंटर, ब्रेकफास्ट स्टॉल वगेरह हैं। कोचिंग एरिया के 3 किलोमीटर में ही कम पैसों में पीजी और रूम मिल जाता है। जहां ₹10000 में कमरे का किराया और खाना-पीना हो जाता है। इसके अलावा वहां बहुत से बजट फ्रेंडली मैस भी हैं, जिनमें 2500 से ₹3000 में 1 महीने खाना खा सकते हैं। इसके अलावा अपने रूम पर टिफिन भी मंगवा सकते है। इन मैस में बच्चों को 3 दिन स्पेशल खाना भी दिया जाता है।

 

 

 

 

देश के हर हिस्से से स्टूडेंट्स आने के चलते कोटा यातायात के हर साधन से कनेक्टेड है, लेकिन कोटा के विकास और संपूर्णता में सबसे बड़ी बाधा यहां वायु सेवाओं का अभाव होना है। यहां एरोड्राम एयरपोर्ट होने के बावजूद कोटा में वायु सेवा का अभाव हर एक को खलता है। सड़क मार्ग की बात करें तो कोटा देश के सभी मुख्य राजमार्गों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। इसके अलावा कोटा भारतीय रेलवे के रेल मार्ग के हर हिस्से से भी जुड़ा हुआ है, यहां से आपको दिल्ली, मुंबई, केरल, जम्मू, बेंगलौर और देश के सभी बड़े शहरों के लिए नियमित रूप से ट्रेन मिल जाता है।

 

 

 

एजुकेशन हब कहे जाने वाले इस कोटा शहर का एक काला अध्याय भी है, जिसके बारे में जानकर हर किसी की रूप कांप जाती है। कोटा शहर स्टूडेंट्स की मौतों का हब भी बनता जा रहा है, हर साल यहां तनाव में आकर स्टूडेंट आत्महत्याएं कर लेते हैं। स्टूडेंट्स पर कोचिंग संस्थानों से होने वाला दबाव भारी पड़ता है, क्योंकि प्रत्येक छात्र-छात्राएं मानसिक तौर पर मजबूत हो ये जरूरी नहीं है। कोटा में छात्र-छात्राओं की आत्महत्या के आंकड़ों ने प्रशासन को हिलाया हुआ है। सुबह छह बजे से लेकर देर शाम तक कोचिंग संस्थानों की क्लास, फिर रात को खुद की पढ़ाई, सप्ताह में एक से दो बार टेस्ट, अभिभावकों की उम्मीदों और साथियों के साथ प्रतिस्पर्धा के दबाव के कारण छात्र-छात्राएं आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। पिछले कुछ सालों के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। साल 2023 में कुल 29 छात्रों ने सुसाइड किया था। वहीं, इस साल में अभी तक 14 छात्र अपनी जान दे चुके हैं। कोटा में होती स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं के मामलों ने सरकारों की नींद भी उड़ाई हुई है।

 

 

 

 

स्टूडेंट्स का स्ट्रेस कम करने की दिशा में राजस्थान सरकार, कोटा प्रशासन और कोचिंग संस्थानों ने कई प्रयास भी किये हैं। स्टूडेंट्स कोटा में कई मौज-मस्ती के साधनों का इंतजाम किया गया है, इसमें चम्बल गार्डन, सेवन वंडर्स पार्क, किशोर सागर, नागाजी का बाग, वाटर स्क्रीन फाउंटेन, जॉय ट्रेन, घटोत्कच सर्किल, मुकुन्दरा नेशनल पार्क, कई पुरातत्व और पर्यटन स्थल, मॉल और चोपटियाँ हैं।

error: Content is protected !!