World Soil Day : कमजोर हो रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति, अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस आज, किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने कहा…

जांजगीर-चाम्पा. पौधों को भोज्य पदार्थ के रूप में 17 आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। इनमें से किसी भी पोषक तत्व की कमी होने पर पौधे अपना जीवन चक्र पूर्ण नहीं कर पाते। इन तत्वों को पौधे, तना, जड़ व पत्तियों द्वारा भूमि हवा और पानी से ग्रहण करते हैं। इन आवश्यक तत्वों को पौधों की आवश्यकता के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है।



पहला मुख्य पोषक तत्व जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस पोटाश आदि पौधों को इन पोषक तत्वों की अधिक मात्रा में जरूरत होती है। ठीक इसी तरह द्वितीय पोषक तत्व में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर जो कि पौधों को मुख्य पोषक तत्वों से कम जरूरत पड़ती है। वहीं सूक्ष्म पोषक तत्वों के रूप में लोहा, मैंगनीज, कॉपर, जिंक, बोरान, मोलिब्डेनम क्लोरीन और निकिल की आवश्यकता होती है। मगर इन पोषक तत्वों की कमी के कारण किसानों को खेती में पैदावार धीरे धीरे कम हो रही है।

वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि उनके टीम छत्तीसगढ़ में जैविक खेती मिशन चलाकर किसानों जैविक कृषि के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्य के किसानों को जैविक कृषि को लेकर प्रशिक्षण देने का भी काम करते हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर 2012 में छत्तीसगढ़ में जैविक खेती मिशन लागू किया गया। जिसमें जिले के बलौदा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत जाटा के आश्रित ग्राम बहेराडीह को शासन के निर्देश पर कृषि विभाग के द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से यह प्रोजेक्ट सफल रहा। जिसे देखते हुए बलौदा ब्लॉक के 40 गांवों को भी जैविक खेती मिशन में शामिल किया गया। सिवनी चाम्पा के कृषक मित्र रामाधार देवांगन ने बताया कि खेती में आज रासायनिक उर्वरकों का काफी अधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होगई है। जिसे देखते हुए जैविक कृषि के प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं।

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