जांजगीर-चांपा. कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी जन्मेजय महोबे ने नगरीय क्षेत्रों व नगर बाह्य क्षेत्रों के निवासियों की सुरक्षा, शांति एवं जनहित को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालिक तौर पर मकान मालिकों एवं प्रतिष्ठानों के द्वारा किराये पर भवन देने व मकान लेने के पूर्व तथा पूर्व से ही किराएदार के रूप में रह रहे व्यक्तियों का पूर्ण विवरण निकटतम थाना प्रभारियों को देने कहा है ।
पुलिस अधीक्षक विजय पांडेय द्वारा कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी जन्मेजय महोबे को अवगत कराया गया कि कुछ असामाजिक तत्व नगरीय क्षेत्रों व नगर बाह्य क्षेत्रों में अपराध घटित करने की नियत से स्वय को आवासीय क्षेत्र में छुपाने का प्रयास करते हैं। जिससे नगर की शांति व्यवस्था को खतरा होने के साथ-साथ मानव जीवन और लोक संपत्ति को क्षति की शंका व भय का वातावरण बना रहता है।यह भी ज्ञात हुआ है कि शहर के अधिकांश मकान मालिक अपने किराएदारों, घरेलू नौकरों के संबंध में सत्यापन हेतु आवश्यक संसूचना क्षेत्र के थाना प्रभारियों को नहीं देते हैं जिसके फलस्वरूप घटित अपराध तथा अपराधियों की गतिविधियों व षड्यंत्रों पर नियंत्रण रखने में कठिनाई उत्पन्न होती है।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी जन्मेजय महोबे ने भारतीय नागरिक सुख्क्षा संहिता 2023 की धारा 163 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए नगरीय क्षेत्रों व नगर बाह्य क्षेत्रों के लिए आदेश जारी किया है कि सभी मकान मालिकों के लिए किराएदारों की सूचना देना अनिवार्य है। कोई भी मकान मालिक उस समय तक अपना मकान या उसका कोई भाग किराये पर नहीं देंगे, जब तक किराएदार का पूर्ण विवरण संबंधित थाना प्रभारी को प्रस्तुत नहीं कर देते।संबंधित थाना प्रभारी को जानकारी दिये बगैर कोई व्यक्ति / प्रतिष्ठान भवन किराए पर दे या ले नहीं सकेगा।
आदेश जारी दिनांक के पूर्व से ही जो व्यक्ति किराएदार की हैसियत से रह रहे हैं उनके मकान मालिक भी थाना प्रभारी को किराएदारों के संबंध में तत्काल सूचित करेंगे। किसी भी व्यक्ति को वैध पहचान पत्र के बिना आवास किराये पर न दिया जाए। सभी किराएदार का नाम, पता, मोबाईल नंबर, पहचान कमांक सभी मंकान मालिक अनिवार्य रूप से दर्ज करेंगे तथा संबंधित थाना प्रभारी को दी गई सूचना में इसका उल्लेख अनिवार्यतः करेंगे।
किराएदार द्वारा अथवा उनके यहां पर किसी भी आगन्तुक द्वारा किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की जानकारी तुरंत निकटतम पुलिस थाना/चौकी में देंगे।
उपरोक्त आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के अधीन दण्डनीय अपराध होगा। उक्त आदेश तत्काल प्रभावशील होगा एवं जारी दिनांक से 02 माह की अवधि के लिए अथवा इसे निरस्त किए जाने की तिथि, जो भी पहले हो, तक के लिए प्रभावशील होगा।