सक्ती. जिले की पावन धरा तुर्रीधाम, शिवभक्तों के लिए आस्था का केंद्र है और यहां श्रद्धालु हमेशा दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वहीं सावन में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है, आज सावन के तीसरे सोमवार पर सुबह से श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ है और भगवान शिव का जलाभिषेक किया जा रहा है.
यहां स्थापित शिवलिंग, प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही पूजनीय है, क्योंकि यहां पहाड़ से अविरल धारा बहती है, जो भगवान शिव को जलाभिषेक करती है. तुर्रीधाम की बड़ी खासियत है और इस अनोखे नजारे को देखकर श्रद्धालु भी हैरत में पड़ जाते हैं. पहाड़ से निकली यह जलधारा कहां से शुरू हुई है, यह अभी तक पता नहीं चला है.
इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है. यह शिवलिंग पूर्वाभिमुख है. इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है. गर्भगृह मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फीट की गहराई पर है. इस तुर्रीधाम की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जलस्त्रोत है, जो निरंतर शिवलिंग पर गिरते रहता है. यह जलस्त्रोत अनादि काल से अनवरत बहता हुआ आ रहा है. इसी जलस्रोत के नीचे ही प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, जिस पर सदैव ही प्राकृतिक रूप से शिवलिंग पर जल अभिषेक होता रहता है, लेकिन अब तक यह पता नहीं चला है कि आखिर जलधारा कहां से बह रही है ?