22 महीनों से जारी यूक्रेन की जंग थमने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अखंड रूस का सपना पूरा करने और सिकंदर से भी बड़ा साम्राज्य बनाने के लिए रूस के इतिहास का सबसे बड़ा मिलिट्री मिशन शुरू कर दिया है.अखंड रूस का सपना पूरा करने की मुहिम में पुतिन बहुत तेजी से जुटे हैं. दुनिया यूक्रेन की जंग खत्म होने का इंतजार कर रही है और पुतिन ने रूस की सेना का सबसे बड़ा भर्ती अभियान चला रखा है.
रूस में हर दिन 1500 लोगों को रूसी सेना में भर्ती किया जा रहा है. बीते दिन कुल 486,000 सैनिकों ने रूसी सेना के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. 3 साल बाद व्लादिमीर पुतिन ने जनता के सवालों का जवाब दिया. पुतिन ने बोलना शुरू किया तो यूक्रेन से लेकर अमेरिका तक में खौफ पसर गया, क्योंकि कम बोलने वाले पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना वॉर प्लान बता दिया. आज यूक्रेन में लगभग कुछ भी उत्पादन नहीं हो रहा. उन्हें मुफ्त की आदत लग गई है. बुरे व्यवहार के लिए खेद है लेकिन ये मुफ्त उपहार अब किसी भी दिन खत्म हो सकता है. जाहिर है, उसके बाद सब धीरे-धीरे खत्म हो जाता है.
पश्चिमी देशों के टुकड़ों पर जी रहा यूक्रेन- पुतिन
पुतिन के 14 दिसंबर के पुतिन के भाषण को लेकर पेंटागन तक परेशान था. यूक्रेन के अलावा 31 नाटो देश पुतिन की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का बेसबरी से इंतजार कर रहे थे और पुतिन ने वाकई अमेरिका और रूस के दुश्मनों की परेशानी बहुत बढ़ा दी है. पुतिन ने कहा कि यूक्रेन पश्चिमी देशों के टुकड़ों पर जी रहा है.
14 दिसंबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने साफ साफ कहा कि यूक्रेन युद्ध की अमेरिका और पश्चिमी देशों की वजह से शुरू हुआ है और अब ये युद्ध तब तक नहीं रुकेगा, जब तक यूक्रेन पूरी तरह सेना से मुक्त नहीं हो जाता. 2014 में पुतिन यूक्रेन से क्रीमिया छीन चुके हैं. 2022 में पुतिन ने यूक्रेन से डोनेस्क, लुहांस्क, खेरसान और जेपोरेजिया को छीन लिया और 2024 के लिए पुतिन ने पूरे यूक्रेन को रूस में मिलाने का लक्ष्य तक किया है.
क्या पुतिन एटमी धमाके की तैयारी में हैं?
पुतिन के भाषण से पहले रूस ने अपनी रणनीति का ट्रेलर दिखा दिया है. कीव पर छोटे एटम बमों जैसे धमाके शुरू हो गए तो रूस को नए हथियार देने में आनाकानी दिखा रहे यूरोपीय देशों ने फौरन डिफेंस सिस्टम रवाना कर दिए. दो दिन पहले यूक्रेन को नए हथियार देने से मना करने वाले जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ स्कोल्ज़ ने यूक्रेन को दूसरा पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम भेजने का ऐलान कर दिया.
पुतिन यूक्रेन युद्ध का सबसे विनाशक फेज शुरू करने वाले हैं. इसका संकेत पुतिन ने एटम बम के कंट्रोल सेंटर में जाकर दे चुके हैं. 14 दिसंबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले उनके सलाहकार ने भी अमेरिका और नाटो देशों को बता दिया था कि पुतिन के मन में क्या चल रहा है.
मिट जाएगा यूक्रेन का अस्तित्व?
व्लादिमीर सोलोविओव, पुतिन के सलाहकार हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन को अब एक राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में नहीं रहना चाहिए. दुनिया का नक्शा बदल जाएगाय. यूरोपीय देशों की सीमाएं फिर से खींची जाएंगी. पुतिन या तो पूरे यूक्रेन को रूस में मिलाकर अखंड रूस का सपना पूरा करेंगे या फिर पूरा यूरोप एटमी आग में भस्म होने लगेगा. इस भयानक तबाही की आशंका नाटो चीफ तक को हो गई है. इसीलिए कुछ दिन पहले नाटो चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने बुरी खबर के लिए तैयार रहने को कहा था.
14 दिसंबर को पुतिन के ऐलान के बाद ये तय हो गया है कि बहुत जल्दी यूक्रेन और यूरोप का नक्शा बदलने वाला है. रूस की फेडरल असेंबली में पुतिन ने यूक्रेन के पूरी तरह सेना विहीन होने तक जंग लड़ने का बड़ा ऐलान कर दिया. ये ऐलान होना तय था, क्योंकि इससे पहले भी पुतिन ने जब-जब ऐसी प्रेस कॉन्फ्रेंस की है, तब-तब कुछ बहुत बड़ा और जंगी ऐलान किया है.
पुतिन ने जो कहा, उसे पूरा किया
मार्च 2014 के वार्षिक भाषण में पुतिन ने क्रीमिया जीतने का ऐलान किया था. 2021 के अंत में पुतिन ने यूक्रेन को नाटो से दूर रहने की चेतावनी दी. अप्रैल 2022 में पुतिन ने कीव ओब्लास्ट और उत्तरी यूक्रेन पर बड़े हमले की घोषणा की और अब 14 दिसंबर 2023 को पुतिन ने यूक्रेन के पूरी तरह असैन्यीकरण होने तक जंग जारी रखने और युद्ध में नए हथियार उतारने का ऐलान कर दिया है.
यूक्रेन की रणभूमि में
बर्फीली जंग शुरू हो गई है. जेलेस्की ने रूस की सेना को जवाब देने के लिए रूस के ही बागी सैनिकों का इस्तेमाल किया है. यूक्रेन ने बर्फ में जंग लड़ने के लिए नई साइबेरियाई बटालियन बनाई है, जिसमें रूसी सेना के बागी हैं.
सर्दी में रूस से जीतना यूक्रेन के लिए नामुमकिन
बर्फ में रूस को हराना नामुमकिन है. आर्कटिक के बर्फीले समंदर पर रूस राज करता है. सरमत जैसी दुनिया की सबसे विनाशक मिसाइलें रूस ने आर्कटिक की बर्फ में ही तैनात कर रखी हैं. इसी बर्फीले समंदर के नीचे रूस की न्यूक्लियर सबमरीनों में भी एटम बम से लैस मिसाइलें हैं. दूसरी तरफ यूक्रेन को मदद मिलना कम होती जा रही है. इस बार जेलेंस्की को वाशिंगटन के दौरे से कुछ खास हासिल नहीं हो सका.
हंगरी और ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को नई मदद देने से मना कर दिया है. फ्रांस भी हाथ खींच रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि पुतिन के प्रण के आगे यूक्रेन कितने दिन टिक पाएगा? 24 साल तक सत्ता पर काबिज रहने वाले पुतिन मार्च में दोबारा चुनाव लड़ने वाले हैं. उससे पहले पुतिन रूस की जनता अखंड रूस के नक्शे में यूक्रेन को शामिल करना चाहते हैं. पुतिन ने बता दिया है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वो कुछ भी करेंगे.