आठवें अजूबे से कम नहीं है भगवान शिव का ये मंदिर, जहां हर रोज रात को होता है कुछ ऐसा जिसे जानकर चौंक आएंगे आप…

हिंदुस्तान असंख्य मंदिरों का घर है। पूर्वी भारत से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक ऐसे करोड़ों शिव मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी शिकायतें लेकर आते हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित कैलाश मंदिर भारत के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है।



 

 

भगवान शिव को समर्पित कैलास मंदिर काफी अनोखा और पवित्र माना जाता है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है। कैलाश मंदिर की बनावट और विशेषताएं इतनी लोकप्रिय हैं कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इसके दर्शन के लिए आते हैं। इस लेख में हम कैलाश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और यह भक्तों के लिए क्यों खास है आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।

 

 

कैलाश मंदिर का इतिहास
कैलास मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है। क जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 757-783 ईस्वी के बीच राष्ट्रकूट राजवंश के राजा कृष्ण प्रथम द्वारा किया गया था। कहा जाता है कि इसे बनाने में करीब 40 हजार टन पत्थर काटा गया है।इतिहास के अनुसार, कैलाश मंदिर को बनाने 7000 से अधिक मजदूर लगे थे। यह विशाल और प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस विशाल मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग भी है। कहा जाता है कि यह मंदिर हिमालय के कैलाश मंदिर जैसा दिखता है।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : जनपद पंचायत सभाकक्ष में 5 कर्मचारियों को शॉल, मोमेंटो, श्रीफल भेंटकर सम्मान पूर्वक दी गई विदाई, जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

 

 

 

कैलाश मंदिर का रहस्य
कैलास मंदिर का रहस्य बहुत ही रोचक है। कई लोगों का मानना है कि इस विशाल मंदिर का निर्माण एक सप्ताह के भीतर किया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर खुदाई के दौरान मिला था। इस मंदिर के बारे में किंवदंती है कि राजा नरेश कृष्ण पहले बहुत बीमार थे और उनकी पत्नी ने कसम खाई थी कि यदि उनके पति ठीक हो गए, तो वह भगवान शिव का एक विशाल मंदिर बनवाएंगी।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : जनपद पंचायत सभाकक्ष में 5 कर्मचारियों को शॉल, मोमेंटो, श्रीफल भेंटकर सम्मान पूर्वक दी गई विदाई, जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

 

 

 

कैलाश मंदिर की वास्तुकला

कैलाश मंदिर की वास्तुकला आम लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है। यह विश्व मंदिर दो मंजिला मंदिर है, माना जाता है कि यह एक ही पत्थर की पटिया पर बनी दुनिया की पहली सबसे बड़ी मूर्ति है। कई लोगों का मानना है कि इस विशाल मंदिर के निर्माण में सिर्फ एक नहीं बल्कि पीढ़ियों का योगदान है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 90 फीट है और इस मंदिर के दूसरी तरफ एक आंगन और एक हॉल है।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : जनपद पंचायत सभाकक्ष में 5 कर्मचारियों को शॉल, मोमेंटो, श्रीफल भेंटकर सम्मान पूर्वक दी गई विदाई, जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

error: Content is protected !!