मनमोहन सिंह वो कौन सा काम न करते तो कंगाल हो जाता हिंदुस्तान? गांधी फैमिली के करीबी होकर भी इंदिरा से रही अदावत..

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 26 सितंबर को आता है. डॉ मनमोहन सिंह न केवल कांग्रेस के कद्दावर नेता थे बल्कि उन्हें भारत में आर्थिक उदारीकरण और आर्थिक सुधारों का जनक भी कहा जाता है.



 

 

 

प्रधानमंत्री रहने के दौरान डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कई साहसिक फैसले लिए उनमें से एक फैसला ऐसा है जो अगर उन्होंने नहीं लिया होता तो आज देश कंगाली से जूझ रहा होता.

 

 

 

बात 1991 की है जब वित्त मंत्री के पद पर डॉ मनमोहन सिंह थे. उस समय पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ मनमोहन सिंह की काबिलियत को देखा था और उन्हें वित्त मंत्री बनाया. उस समय देश अपनी अर्थव्यवस्था को नहीं संभाल पा रहा था और देश के पास महज 15 दिन का ही पैसा बचा था. 15 दिन के बाद देश विदेशों से कोई भी चीज खरीद नहीं सकता था. चाहे वह दवाई हो, पेट्रोलियम हो, इलेक्ट्रॉनिक और भी बहुत कुछ. इसके बाद भारत ने आईएमएफ और यूरोपीय देशों से लोन की मांग की.

इसे भी पढ़े -  Sakti News : बन्धन बैंक सक्ती शाखा ने नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर अग्रवाल के मुख्य आतिथ्य में मनाया 10वां स्थापना दिवस

 

 

 

IMF और यूरोपीय देशों ने रखी शर्त

यूरोपीय देशों और आईएमएफ ने भारत के पैसों के बदले शर्त रखी कि वह देश में विदेशी कंपनियों को आने दें. आईएमएफ और यूरोपीय देशों का कहना था कि भारत में न केवल विदेशी कंपनियां काम करेगी बल्कि प्राइवेट और सरकारी कंपनियां भी चलेगी. सभी अपना काम खुलकर कर सकते है. भारत सरकार ने इसे मंजूरी दे दी और यही भारत के विकास का सबसे बड़ा कारण बना.

 

 

इसे भी पढ़े -  Sakti News : 'स्वदेशी अपनाओ, विदेशी भगाओ अभियान' में गूंजा संकल्प, सक्ती में चेंबर ऑफ कॉमर्स ने दिलाई शपथ

 

LPG नियम लेकर आई सरकार

उस दौरान देश की सरकार LPG (Liberalization, Privatization and Globalization) नियम लेकर आई. भारत सरकार ने न केवल विदेशी कंपनियों को बल्कि प्राइवेट कंपनियों को भी काम करने का मौका दिया. भारत सरकार ने उदारीकरण को बढ़ावा दिया, प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया और इसके बाद ग्लोबलाइजेशन यानी कि भूमंडलीकरण या कहें वैश्वीकरण को भी मौका दिया.

 

 

 

 

भारत ने भी रखी थी शर्त

कुल मिलाकर इसके मतलब ये था कि सरकार विदेशी कंपनियों और प्राइवेट कंपनियों के साथ लिबरल रहेगी. यानी कि कोई लड़ाई झगड़ा और भेदभाव नहीं करेगी. हालांकि, भारत में उनके सामने एक शर्त यह भी रखी की कोई भी बाहरी कंपनी भारत देश में सेना से जुड़ा कोई सामान नहीं बन सकती, अंतरिक्ष से जुड़ा कोई सामान नहीं बन सकती, रेलवे से जुड़ा काम, पेट्रोलियम का काम नहीं कर सकती.

इसे भी पढ़े -  Dabhara News : 2 सितंबर को निःशुल्क नेत्र रोग एवं मोतियाबिंद जांच एवं निदान शिविर आयोजित, जिला पंचायत उपाध्यक्ष कमल किशोर पटेल द्वारा कराया जा रहा आयोजन

error: Content is protected !!