रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देशन में राज्य में वन विभाग द्वारा वनवासियों को वनोपजों के संग्रहण के साथ-साथ प्रसंस्कण और विपणन से भी जोड़कर उन्हें अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए हर संभव पहल की जा रही है।
इस तारतम्य में प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य के मरवाही वनमण्डल के अंतर्गत सीताफल के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा विपणन के लिए एक सहकारी समिति ’मरवाही अरण्य फल प्रसंस्करण उद्योग’ का गठन किया गया है। इससे क्षेत्र के 3 हजार 250 वनवासी परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। यहां चालू वर्ष में लगभग 60 टन सीताफल पल्प के निर्माण से 61 लाख रूपए की आय अनुमानित है। इस तरह ’मरवाही अरण्य फल प्रसंस्करण उद्योग’ से वनवासियों के लिए अधिक से अधिक आय अर्जित करने का अवसर खुल गया है।
मरवाही अरण्य फल प्रसंस्करण में सीताफल के साथ-साथ वनों में पाए जाने वाले फलों जैसे – तेंदू, चार, भेलवा, महुआ, तथा जामुन आदि का मूल्य संवर्धन, पल्प निर्माण, आईस्क्रीम, कैंडी, बर्फी लड्डू जैसे उत्पादों का निर्माण किया जाएगा। इसकी स्थापना में लगभग 60 लाख रूपए का व्यय अनुमानित है।
चालू वर्ष के दौरान लगभग 240 टन सीताफल क्रय का लक्ष्य रखा गया है। इसका संचालन दानीकुण्डा वन प्रबंधन समिति द्वारा किया जाएगा। समिति द्वारा क्षेत्र में सीताफल का न्यूनतम मूल्य 10 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित कर क्रय किया जाएगा। इससे संग्राहकों को एक लाख 44 हजार रूपए का प्रत्यक्ष लाभ होगा। विगत वर्षों में क्षेत्र में व्यापारियों द्वारा 4 से 5 रूपए प्रति किलोग्राम में क्रय कर बड़े शहरों में इसे 40 से 50 रूपए प्रति किलोग्राम विक्रय किया जाता रहा है।
अब क्षेत्र के वनवासियों को समिति से अधिक लाभ मिलेगा। इसी तरह चालू वर्ष में ही 60 टन सीताफल पल्प निर्माण का भी लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा सह उत्पाद के रूप में 36 टन बीज प्राप्त होगा। जिसे आर्गेनिक कीटनाशक उत्पादकों को विक्रय किया जाएगा। मरवाही अरण्य फल प्रसंस्करण द्वारा पल्प के निर्माण में 78 प्रति किलोग्राम का व्यय अनुमानित है। जिसका वर्तमान बाजार मूल्य 150 रूपए प्रति किलोग्राम है।
इस तरह 60 टन सीताफल पल्प के निर्माण से 61 लाख 20 हजार रूपए की राशि का लाभ अनुमानित है। भविष्य में इसी समिति द्वारा सीताफल के साथ-साथ तेंदू, चार, भेलवा, महुआ, तथा जामुन से पल्प निर्माण, आईस्क्रीम, कैंडी, बर्फी लड्डू का निर्माण किया जाएगा और इसे रेलवे स्टेशनों, मॉलों तथा संजीवनी केन्द्रों में भी विक्रय किया जाएगा।