दोहरा हत्याकांड के आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश का फैसला

जांजगीर-चाम्पा. दोहरा हत्याकांड के आरोपियों को विचारण उपरांत सक्ती के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार आदित्य ने आरोपित अपराध में दोष सिद्ध पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा एवं अर्थदंड से दंडित किया है।
अभियोजन के अनुसार, डभरा थाना अंतर्गत ग्राम कुदरी के धनेश्वरी बाई खुटे ने थाना डभरा में रिपोर्ट दर्ज कराई कि गांव के उसके कुरा ससुर फूलसाय से उसके परिवार का जमीन संबंधी विवाद है, जिसके कारण फूलसाय का पूरा परिवार उसके परिवार के साथ रंजिश रखते हैं। इसी बात को लेकर 13 मार्च 2017 को दोपहर 3:30 बजे के लगभग फूलसाय, उसका लड़का शिव खुटे, लक्ष्मी खूटे, फुल साय की पत्नी गोमती खुटे, दामाद कन्हैया महिलांगे, अमर प्रसाद खुटे, छोटू एवं टीकम खूटे मिलकर एक राय होकर उसके पति रेशम लाल खुटे एवं कुराससुर महेत्तर खुटे को टांगी लाठी से प्राणघातक वार कर हत्या किए हैं। बीच-बचाव करने पर भतीजा हीरालाल खोटे को हत्या करने की नियत से उसके सिर पर प्राणघातक वार कर चोट पहुंचाए हैं तथा उसे भी लक्ष्मी और फूलसाय मारपीट किए हैं, जिससे उसके सिर कमर बांह हथेली में चोट आई है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर आरोपी गण के विरुद्ध थाना डभरा द्वारा धारा 147, 148, 149, 302 भारतीय दंड विधान के तहत प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया गया तथा घटनास्थल जाकर मृतक रेशम लाल खुटे की मृत्यु के संबंध में मर्ग क्रमांक 10/ 17 धारा 174 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत तथा मृतक महेतर खुटे की मृत्यु के संबंध में मर्ग क्माक 11 / 17, धारा 174 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज कर अकाल एवं आकस्मिक मृत्यु की सूचना दर्ज की गई एवं आवश्यक वैधानिक कार्यवाही कर मृतकों का पीएम कराया गया।
थाना डबरा द्वारा आरोपियों को गिरफतार कर जेल भेजा गया एवम विवेचना उपरांत आरोपी गण के विरुद्ध चालान न्यायालय में पेश किए गए तदुपरांत प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश शक्ति के न्यायालय में उक्त प्रकरण का विचारण किया गया आरोपी गण फूल साय खूटे शिव प्रसाद उर्फ सेलुगू गोमती अमर प्रसाद टीकम प्रसाद कन्हैयालाल महिलांगे के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 302 दो बार 149 दो बार 307 या 307, 34, 324 या 324 / 34 के तहत आरोप था कि आरोपीगण ने 13 मार्च 2017 को 3:30 बजे कुदरी गांव के दुर्गा पंडाल के पास में विधि विरुद्ध समूह का गठन कर उसके सदस्य रह कर उस समूह के सामान्य उद्देश्य में रेशम लाल महेत्तर एव हीरालाल की हत्या कारित करना था तथा उस जमाव या उसके सदस्य द्वारा उक्त सामान्य उद्देश्य के अग्र शरण में बल या हिंसा का प्रयोग कर विधि विरुद्ध जमाव कर उसका सदस्य होते हुए रेशम लाल महेत्तर हीरालाल का मृत्यु करने के सामान्य उद्देश्य के अनुसरण में आरोपी शिव प्रसाद, गोमती अमर प्रसाद, टीकम प्रसाद कन्हैयालाल, लक्ष्मी प्रसाद के साथ मिलकर घातक आयुध लाठी, टांगी एव लोहे की पाइप से लैश होते हुए, जिसके कारण आक्रमण आयुध रूप में प्रयुक्त किए जाने से मृत्यु कारीत होना संभाव्य थी. विधि विरुद्ध जमाव या उसमें के किसी सदस्य ने बल या हिंसा के प्रयोग कर बलवा कारित किया तथा रेशम लाल एवं मेहतर को हत्या करने के आशय से लाठी टांगी एवं लोहे की पाइप से मारकर उनकी हत्या कारित की तथा 5 या पांच से अधिक व्यक्तियों के साथ मिलकर सामान्य आशय के अग्रसर में रेशम लाल एवं महेत्तर को हत्या करने की आशय से लाठी टांगी एवं लोहे के पाइप से मारकर उनकी हत्या किए, आशय एवं ज्ञान से हीरालाल के ऊपर लाठी लाठी टांगी एवं लोहे की पाइप से प्राणान्तक उपहती कारित की कि यदि उनकी मृत्यु हो जाती तो वह हत्या के दोषी होते और ऐसा करके उन्होंने हीरालाल की हत्या का प्रयास किए।
विकल्प में एक साथ मिलकर विधि विरुद्ध जमाव का गठन किया, जिसका सामान्य उद्देश्य हीरालाल को जान से मारने का था। उक्त सामान्य उद्देश्य के अग्रसर में हीरालाल को जान से मारने के उद्देश्य से लाठी टांगी लोहे के पाइप से मारपीट करते हुए उपहति कारित कि यदि उसकी मृत्यु हो जाती तो वह हत्या के दोषी होते और ऐसा करके उन्होंने हीरालाल की हत्या का प्रयास किए तथा स्वयं या एक साथ मिलकर सामान्य उद्देश्य के अग्रसर में धनेश्वरी खुटे को लाठी टांगी लोहे के पाइप से मारपीट कर गंभीर उप हती कारित किए इस मामले के एक अभियुक्त लक्ष्मी प्रसाद खूटे पिता फूल साए खुटे घटना के पश्चात से ही फरार हो गया था, जिसे फरार घोषित किया गया।
अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार आदित्य ने अपने निर्णय में आरोपियों के इस कृत्य को विरलतम से विरलतम अपराध की श्रेणी में नहीं आना बताया है। न्यायालय ने आरोपी गण फुल साए खुटे, शिवप्रसाद गोमती अमर प्रसाद टीकम प्रसाद को न्याय की पूर्ति हेतु धारा 148 भारतीय दंड विधान की अपराध के लिए एक 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच ₹500 के जुर्माने तथा आरोपी गण को धारा 302 भारतीय दंड संहिता दो बार के अपराध के लिए आजीवन कारावास आजीवन कारावास दो-दो बार एवं पांच ₹5000 के अर्थदंड से दंडित किया है तथा धारा 324, 149 भारतीय दंड संहिता के अपराध के लिए एक 1 वर्ष के सश्रम कारावास दो दो बार एवं पांच ₹500 के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि! की अदायगी नहीं किए जाने पर आरोपी गण को छह छह महीना की अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा पृथक से भुगताई जाने का आदेश पारित किया गया है।
आर यू पी गढ़ को दी गई कारावास की सजा साथ साथ चलेगी तथा अर्थदंड की राशि की व्यतिक्रम पर दी गई मूल सजा के बाद अलग से भुगताई जावेगी। न्यायालय द्वारा इस मामले के एक अभियुक्त कन्हैया लाल के विरुद्ध अपराध प्रमाणित नहीं पाए जाने पर उसे दोषमुक्त कर दिया गया है। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक दुर्गा साहू ने पैरवी की.



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