चाणक्य नीति के अनुसार जो लोग अपनी संगत को लेकर गंभीर नहीं रहते हैं. गलत संगत में बैठकर अपनी ऊर्जा का व्यय करते हैं, गलत आदतों को अपनाते हैं, परेशानियां उनका पीछा कभी नहीं छोड़ती हैं. इस स्थिति से सदैव बचने का प्रयास करना चाहिए. चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है अच्छी संगत को अपनाने वाले व्यक्ति अपने ज्ञान में तो वृद्धि करते ही हैं, साथ ही साथ जीवन में भी अपार सफलताएं प्राप्त करते हैं.
चाणक्य के अनुसार सझदार मनुष्य को इन स्थितियों से बचना चाहिए-चाणक्य की चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि मूर्ख शिष्य को उपदेश देना, चरित्रहीन स्त्री का पालन-पोषण करना, किसी दुखी व्यक्ति के साथ रहना. इन सब से हमेशा दुख ही प्राप्त होता है. इसलिए इन स्थितियों से बचने का प्रयास करना चाहिए.
मुर्ख व्यक्ति को सलाह देना समय को बर्बाद करना- चाणक्य नीति कहती है कि सलाह उसी व्यक्ति को देनी चाहिए, जो आपकी सलाह पर अमल करे. क्योंकि ऐसे व्यक्ति को सलाह देने का कोई अर्थ नहीं है जो विषय की गंभीरता को न समझता हो.
दुखी और निराश व्यक्ति से दूर रहें- चाणक्य नीति कहती है कि हमेशा दुखी और निराश व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है. ऐसा व्यक्ति से दूर रहना चाहिए. ऐसे लोगों की संगत आगे बढ़ने से रोकती है. जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो सदैव ऐसे लोगों की संगत करें जो उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मक विचारों से भरे हुए हों.