भोपाल. साल 2021 खत्म हो रहा है, वहीं शासन–प्रशासन नए साल की तैयारी में जुट गए हैं। पुरानी फाइलों को झोले में बंद कर नई फाइलें तैयार करने की जुगत शुरू हो गई है, लेकिन कई ऐसे मामले हैं, जिनकी जांच फाइलों तक ही सिमटी है, ना तो रिपोर्ट सामने आई और ना ही कोई कार्रवाई हुई। भोपाल में हुए ऐसे तीन हादसे हैं, जिनमें 27 मौतें हुई। लेकिन जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी कि आखिर लापरवाही किसकी थी ?



पूरा साल गुजर गया, लेकिन राजधानी भोपाल में दिल दहला देने वाले 3 हादसों की जांच ना तो पूरी हुई और न ही किसी की जिम्मेदारी तय हो पाई है। चैंबर हादसे में हुई मौतों की बात हो, हमीदिया अस्पताल के भोपाल के हमीदिया अस्पताल परिसर में स्थित कमला नेहरू अस्पताल के SNCU में लगी आग में गई 14 मासूम की जानें हों या सितंबर 2019 में गणेश प्रतिमा विजर्सन के दौरान खटलापुरा घाट पर 11 युवकों की डूबने से हुई मौतों का मामला हो। तीनों ही मामलों में जांच कमेटी तो बनाई गई लेकिन कागजी खानापूर्ति है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।
भोपाल के लाऊखेड़ी इलाके में करीब 20 फीट गहरे चैंबर में उतरे मजदूर भरत सिंह और इंजीनियर दीपक कुमार की मौत के मामले में नगरीय आवास और विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने संभागायुक्त को 24 घंटे में जांच के निर्देश दिए थे। जांच के निष्कर्ष के आधार पर पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर जिम्मेदार पर FIR करने और पीड़ित परिवारों को दस-दस लाख रुपए की आर्थिक मदद देने को कहा था, जिसके बाद नगर निगम ने अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी समेत इंजीनियर अवकाश सांवलिया पर FIR दर्ज करा दी है। मामले में इक्विपमेंट सप्लायर के खिलाफ भी केस दर्ज होगा, लेकिन सवाल ये है कि लापरवाही के लिए कार्रवाई कब तक होगी। बीजेपी का कहना है कि सरकार हर हादसे से सबक लेती है। जबकि कांग्रेस सरकार के समय हुए नाव हादसे पर उस सरकार ने कोई जिम्मेदारी नहीं की थी। हादसे की जांच रिपोर्ट आने पर पेश की जाएगी।
3 यही वो तारीख थी, जिस रात कई माता-पिता ने अपने मासूमों को इस दर्दनाक मंजर में सांसें गंवाते हुए देखा था। हमीदिया अस्पताल परिसर में स्थित कमला नेहरू अस्पताल के SNCU में लगी आग में पहले चार और फिर एक-एक कर 14 नवजात बच्चों की जान चली गई। आनन-फानन में मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश दिए, जिसके लिए अफसर दो बार पहुंचे थे। शुरुआती जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र था कि SNCU के आउटबर्न वार्ड में भर्ती बच्चे के वेंटिलेटर में स्पार्क से आग लगी। अब जांच तो पूरी हो गई है लेकिन रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई है।
भोपाल के खटलापुरा घाट पर 11 युवकों की मौत डूबने से हुई थी, जिसमें मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए थे। जांच तत्कालीन ADM सतीश कुमार एस ने की थी। रिपोर्ट तो बन गई लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं हो सकी। ये तक सामने नहीं आया कि हादसे के लिए कौन-कौन लोग जिम्मेदार थे? इसके लिए कांग्रेस सरकार और अधिकारियों को जिम्मेदार बता रही है।
तीन अलग-अलग हादसों में सत्ताइस जानें आखिर किसकी लापरवाही से गईं ये अब तक तय नहीं हो पाया है। कभी अफसर के तबादले तो कभी दबाव के असर से फाइलें दबा दी जाती हैं। सवाल ये है कि आखिर जांच का साच कभी सामने आता क्यों नहीं ?






