Chardham Yatra 2022: यात्रियों की भीड़ बनी जानवरों की आफत, 16 दिनों में 60 की मौत, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध

नई दिल्ली। केंद्र ने चार धाम यात्रा बहाल कर दी गई है। इस दौरान सभी धामों में यात्रियों के साथ-साथ जानवरों की मौत की खबर भी सामने आ रही है। केदारनाथ यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले घोड़े-खच्चरों की ही कोई कद्र नहीं की जा रही है। इन जानवरों के लिए न रहने की कोई समुचित व्यवस्था है और न ही इनके मरने के बाद विधिवत दाह संस्कार किया जा रहा है। इसका असर वहां के नदियों पर पड़ रहा है



दरअसल, केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद मालिक और हॉकर उन्हें वहीं पर फेंक दे रहे हैं। इसके बाद ये बह कर सीधे मंदाकिनी नदी में गिरकर नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जानवरों के मालिकों की इस हरकत से केदारनाथ क्षेत्र में महामारी फैल सकती है।

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक 1.25 हजार तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों से अपनी यात्रा कर चुके हैं, जबकि अन्य तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर और पैदल चलकर धाम पहुंचे हैं।

समुद्रतल से 11750 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तक पहुंचने के लिए बाबा केदार के भक्तों को 18 से 20 किमी की दूरी तय करनी होती है। इस दूरी में यात्री को धाम पहुंचाने में घोड़ा-खच्चर अहम भूमिका निभाते हैं।

इस मुश्किल भरे यात्रा में इन जानवरों के लिए भरपेट चना, भूसा और गर्म पानी भी नहीं मिल पा रहा है। तमाम दावों के बावजूद पैदल मार्ग पर एक भी स्थान पर घोड़ा-खच्चर के लिए गर्म पानी नहीं है।

एक तरफ जहां जानवरों के लिए कोई सुविधा नहीं हैं तो वहीं दूसरी तरफ, संचालक और हॉकर रुपये कमाने के लिए घोड़ा-खच्चरों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ के 2 से 3 चक्कर लगवा रहे हैं। इतना ही नहीं रास्ते में उन्हें पलभर भी आराम नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण वह थकान से परेशान होकर दर्दनाक मौत का शिकार हो रहे हैं।

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महज 16 दिनों में 60 की मौत

आंकड़ों के अनुसार चार धाम यात्रा की शुरुआत से अबतक महज 16 दिनों में 55 घोड़ा-खच्चरों की पेट में तेज दर्द उठने से मौत हो चुकी है, जबकि 4 घोड़ा-खच्चरों की गिरने से और एक की पत्थर की चपेट में आने से मौत हुई है। जानवरों के साथ घट रही इन घटनाओं के बावजूद सरकार किसी तरह का इंतजाम नहीं कर रही है।

नदी के बहाया जा रहा है शव

घोड़ा-खच्चर संचालक और हॉकर घोड़ा-खच्चरों की सुध नहीं ले रहे हैं, जो बड़ा अपराध है। यात्रा मार्ग पर मर रहे घोड़ा-खच्चरों को नदी में डाला जा रहा है, जो अच्छा नहीं है। मृत जानवर का सही तरीके से दाह संस्कार कर उसे जमीन में नमक डालकर दफनाया जाए। यात्रा में संबंधित कर्मचारियों को मॉनीटरिंग के निर्देश दिए गए हैं। जानवरों के मालिकों की इस हरकत से केदारनाथ क्षेत्र में जल्द ही महामारी फैल सकती है।

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