IIT Admission: क्या हिंदी मीडियम वालों को IIT में परेशानी होती है? एडमिशन से पहले जाने सब कुछ और समझें संघर्ष का स्तर. 

नई दिल्ली (IIT Admission, Hindi Medium). आईआईटी में एडमिशन मिलना आसान नहीं होता है. इसका एंट्रेंस एग्जाम काफी कठिन स्तर का होता है (IIT Entrance Exam). आईआईटी में एडमिशन मिलने के बाद भी सफर मुश्किल रहता है. वहां पढ़ने वाले हर स्टूडेंट का कॉम्पिटीशन देश की टॉप क्रीम वाले स्टूडेंट्स के साथ होता है.



 

 

 

 

अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई का तरीका और माध्यम भी अलग होता है (English Medium School). कहीं हिंदी में पढ़ाई होती है, कहीं अंग्रेजी में तो कहीं क्षेत्रीय भाषाओं में. लेकिन हायर एजुकेशन में आमतौर पर पढ़ाई का माध्यम एक ही हो जाता है. इंजीनियरिंग, मेडिकल, अकाउंटेंसी जैसे कोर्सेस की पढ़ाई अंग्रेजी भाषा में होती है. क्या इससे हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले बच्चों को परेशानी होती है?

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बच्चों को होता है इंग्लिश फोबिया
एक ब्लॉग में कुछ शिक्षकों ने अपने इनपुट्स दिए हैं. उनका कहना है कि हर कोचिंग संस्थान में करीब 200 बच्चे एडमिशन लेते हैं. ज्यादातर स्टूडेंट्स अपने स्कूल या जिले के टॉपर होते हैं. इनमें से 30-40 बच्चे बीच सेशन में पढ़ाई छोड़कर चले जाते हैं. उन्हें फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ के बेसिक्स तो स्पष्ट होते हैं लेकिन इंग्लिश फोबिया (English Phobia) की वजह से यहां उन्हें परेशानी होती है.

 

 

 

पहले सेमेस्टर में होता है संघर्ष
आईआईटी में दाखिले का मतलब माना जाता है कि छात्र पढ़ाई में बहुत होशियार होगा. हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स कहते हैं कि उन्हें पहले-दूसरे सेमेस्टर तक काफी परेशानी होती है. प्रोफेसर फ्लुएंट इंग्लिश में पढ़ाते हैं, जिसे हिंदी मीडियम वाला बच्चा आसानी से नहीं समझ सकता है. इस वजह से शुरुआती सेमेस्टर्स में रिजल्ट बिगड़ने का भी डर रहता है. ऐसे बच्चों के लिए IIT में इंग्लिश क्लासेस भी चलाई जाती हैं.

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कैसे खत्म होगी भाषाई समस्या?
भाषा की समस्या को एकदम से खत्म नहीं किया जा सकता है. उत्तर भारत में प्रमुखता से हिंदी भाषा में बात की जाती है. लेकिन दक्षिणी भारत व पूर्वी भारत में ऐसा नहीं है.1- जेईई परीक्षा क्वालिफाई करने वाले स्टूडेंट्स को आईआईटी में दाखिले से पहले सरकारी खर्च पर अंग्रेजी की कोचिंग करवाई जाए (JEE Result).2- प्रोफेसर्स हर क्लास खत्म होने के बाद 15-20 मिनट हिंदी में सार समझाएं (IIT Syllabus).3- स्टूडेंट्स को उनकी मर्जी की भाषा में परीक्षा देने का अवसर मिले (यह काफी मुश्किल है).4- कोर्स मटीरियल विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध करवाया जाए.

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