चीन जिस तेजी से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहा है उसने दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती पेश कर दी है। जब चीन को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में शामिल नहीं किया गया था, तब उसने अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियांगोंग’ तैयार किया था।
पिछले साल से इसका संचालन शुरू हो गया है और अब चीन इस स्पेस स्टेशन पर कई तरह के शोध शुरू करने जा रहा है। चीन अपने अंतरिक्ष स्टेशन पर एक मछली भेजने की योजना बना रहा है।
न्यूज एजेंशी के हवाले से बताया कि चीन जेब्राफिश को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है. वहां एक छोटे से बंद पारिस्थितिकी तंत्र के अंदर मछली और सूक्ष्मजीवों के बीच बातचीत पर शोध किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इस प्रयोग से अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों के नुकसान पर शोध में मदद मिलेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है कि मछलियां अंतरिक्ष में भेजी जा रही हैं. नासा ने भी ऐसा किया है. उन्होंने यह अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष स्टेशन पर एक वातावरण बनाया कि माइक्रोग्रैविटी समुद्री जीवन को कैसे प्रभावित करती है। 2012 में नासा ने जापानी मूल की एक मछली को अंतरिक्ष में भेजा था.
वहीं, साल 1976 में सोवियत संघ ने जेब्राफिश को अंतरिक्ष में भेजा था. सोवियत संघ के शोधकर्ताओं ने पाया था कि माइक्रोग्रैविटी में रहने के दौरान जेब्राफिश के व्यवहार में कुछ बदलाव आए थे। अंतरिक्ष में जीवों को भेजने की शुरुआत साल 1947 से ही हो गई थी. सोवियत संघ 1957 में एक कुत्ते को अंतरिक्ष में भेजना चाहता था। हालांकि, मिशन शुरू होने के कुछ ही समय बाद डॉगी का शरीर बहुत गर्म हो गया और उसकी मौत हो गई।अब चीन इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. वह जेब्राफिश को अंतरिक्ष में भेजकर नई रिसर्च करना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के अंतरिक्ष मिशन से जुड़े झांग वेई ने इस महीने की शुरुआत में चीनी मीडिया को इस योजना के बारे में जानकारी दी थी. हालांकि इस प्रयोग की समयसीमा और उपकरणों के बारे में कुछ नहीं बताया गया है.