Kisaan School : किसान स्कूल में 9 प्रकार की जंगली तीखी मिर्च का संरक्षण, सैकड़ों गमलों में वर्मी कम्पोस्ट भरकर लगाई गईं साग-भाजी

जांजगीर-चाम्पा. मिट्टी की जगह पर सैकड़ों गमलों में वर्मी कम्पोस्ट भरकर किसान स्कूल में सब्जी भाजी और विविध प्रकार के पौधों की उत्पादन क्षमता को लेकर किया गया प्रयोग सफल रहा। मिट्टी में वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर तथा बिना मिट्टी के सिर्फ और सिर्फ, वर्मी कम्पोस्ट से ही गमलों और जमीन पर प्रयोग किया गया।



शोधकर्ता युवा कृषक दीनदयाल यादव ने बताया कि सबसे अधिक उत्पादन क्षमता मिट्टी और वर्मी कम्पोस्ट के मिश्रण से किये गये प्रयोग सफल रहा, वहीं घास अधिक मात्रा में आई, जिसे मलचिंग के रूप में इस्तेमाल किया गया। ऐसे में पौधों में नमी लम्बे समय तक बरकरार रहीं। इसी तरह गमले में हरेक छः माह के बाद गमले की आधा मिट्टी को निकालकर दो इंच की ताज़ा गोबर डालकर और ऊपर को मिट्टी या फिर सूखे पत्तों को ढंक देने के बाद पौधे की अधिक बढ़वार पाया गया।

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गमले में सिर्फ और सिर्फ वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर लेमनघास, गेंदा, तुलसी, आलू, अदरक, बैगन, भिंडी, मिर्च, धनिया, बरबट्टी, अंज्वाइन, रजनीगंधा, गुलाब, मूली, मुनगा, पपीता, नीबू, अनार, अमरुद, अरबी और विविध प्रकार की भाजियों पर किया गया प्रयोग सफल रहा।

नर्सरी के लिए अति उपयोगी है वर्मी कम्पोस्ट
टमाटर, बैगन, मिर्च और अन्य सब्जी बीजो की यदि नर्सरी अर्थात थरहा तैयार करना है तो इसके लिए वर्मीकम्पोस्ट अति उपयोगी मानी गई है। सब्जी खेती और नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण के विशेषज्ञ दीनदयाल यादव का मानना है कि किसी भी बीजो को अंकुरित कर नर्सरी तैयार करने के लिये कोकोपीट से भी अधिक वर्मीकम्पोस्ट को कारगर माना गया है।
जिले के प्रगतिशील किसान रामाधार देवांगन, दादूराम यादव का कहना है कि खेती में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने पर भलें ही खरपतवार की समस्या अधिक आती है, मगर इस घास का सही उपयोग किया जाता है। मिट्टी की उपजाऊ क्षमता दोगुना बढ़ जाती है, जिससे फसल की पैदावार अधिक होती है।

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