गोठान में मशरूम उत्पादन की ओर अग्रसर महिला स्व-सहायता समूह, तीन माह में तीन फसल, लागत से तीन गुना उत्पादन, गोठान से जुड़े समूह को सब्जी-भाजी के साथ मशरूम से होगी अतिरिक्त आमदनी

जांजगीर-चांपा. जिले के गोठानों में आय आधारित गतिविधियां जोर पकड़ते जा रही है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के प्रोत्साहन औऊ मददगार से ग्रामीण विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ाते जा रहें हैं।
राज्य सरकार की पहल पर ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों को नियंत्रित कर फसलों को सुरक्षित रखने के लिए गौठानों का संचालन किया जा रहा है। इन गौठानों से जुडे महिला स्व-सहायता समूह खेती किसानी से संबंधित विभिन्न गतिविधियां प्रारंभ कर आर्थिक रूप से संक्षम बनने का प्रयास कर रहे हैं।
इस कड़ी में मालखरौदा के ग्राम सोनादुला गौठान से जुड़कर जय माॅ चन्द्रहासिनी महिला स्व-सहायता समूह के 10 सदस्यों ने मशरूम उप्पादन का कार्य प्रारंभ किया है।
मालखरौदा जनपद के सहायक विकास विस्तार अधिकारी भरत साहू ने बताया कि कम मेहनत और छोटी जगह पर मशरूम उप्तादन किया जा सकता है। एक बार मशरूम लगाने के बाद तीन माह में तीन फसल मिल जाती है। उत्पादन के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके लिए निःशुल्क प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। बाजार में इसका मूल्य 200 रूपए से 400 रूपए किलो तक मिल जाता है। बाजार तथा बड़े हाॅटलो में इसकी बहुत मांग है। श्री साहू ने बताया कि सोनादुला गौठान से जुड़े जय माॅ चन्द्रहासिनी महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने प्रशिक्षण उपरांत 25 हजार की लागत लगाकर एक निजी भवन में मशरूम का उत्पादन प्रारंभ किया है। इस फसल से तीन माह में ही 75 हजार रूपए तक मशरूम उत्पादन होने की संभावना है। इसके अलावा इस समूह के द्वारा चारगाह में सब्जी, भाजी, मसाला का उत्पादन भी किया जा रहा है। कम मेहनत व कम समय में अतिरिक्त आय को लेकर समूह के सदस्यों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना मूलतः किसानों को समृद्ध बनाने के लिए है। राज्य सरकार की इस योजना से युवा भी खेती किसानी के प्रति आकर्षित हुए है। अधिक लाभ दायक फसल और आधुनिक खेती के लिए सरकार द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।



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