जांजगीर चाम्पा. शासन के द्वारा गांवों में लोगों की बुनियादी सुविधाओं के लिए जारी की गई चौदहवें वित्त की राशि का सरपंच, सचिव ने मिलकर शासन-प्रशासन के बिना लिखित आदेश के मनमाने ढंग से क्वारन्टीन सेंटर में प्रवासी मजदूरों के लिए बेहिसाब राशि का खर्च कर शासन को बिल प्रस्तुत किया है, जिसकी शिकायत जिला पंचायत सदस्य श्रीमती उमा राजेन्द्र राठौर ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, जिले के प्रभारी मंत्री और कलेक्टर से की है. मामले की उच्च स्तरीय जांच नहीं होने पर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की भी बात जिला पंचायत सदस्य ने कही है.
इस संबंध में जिला पंचायत सदस्य श्रीमती उमा राजेन्द्र राठौर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में गांव के विकास के लिए चौदहवें वित्त की राशि शासन ने जारी किया था, लेकिन इस राशि का सरपंच-सचिव ने मिलकर शासन-प्रशासन के बिना किसी लिखित आदेश के प्रवासी मजदूरों के लिए बनाए गए क्वारन्टीन सेंटर में बिना किसी मापदंड के बेहिसाब राशि खर्च करके संबंधित विभाग को बिल प्रस्तुत करते हुए शासन की आंख में धूल झोंकने का काम किया है.
उन्होंने बताया कि चौदहवें वित्त की राशि ग्रामीण विकास के लिए है, न कि प्रवासी मजदूरों के लिए बनाई गई क्वारन्टीन सेन्टर के लिए. इसके लिए अलग से राशि जारी कर ग्रामीण विकास के लिए शासन द्वारा दी गई राशि को तत्काल वापस करने की मांग को लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जिले के प्रभारी मंत्री टीएस सिंहदेव और कलेक्टर यशवंत कुमार को लिखित शिकायत की गई है और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है.
जिला पंचायत सदस्य श्रीमती राठौर ने आगे बताया कि इस तरह के गंभीर मामले की उच्च स्तरीय जांच तत्काल शुरू नहीं जाती है तो उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया जाएगा, वहीं भाजपा के विधायकों के माध्यम से विधानसभा में भी यह मामला प्रमुखता से रखी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में जांजगीर-चाम्पा एक ऐसा जिला है, जहां सरपंच सचिव की मनमानी चरम सीमा पर है. चौदहवें वित्त की राशि की भांति मूलभूत की राशि इनकी पॉकेट मनी बन गई है. इस राशि का उपयोग इस जिले के अधिकतर सरपंच, सचिव अपनी गलती पर परदा डालने के लिए पंचों को खुश करने के उद्देश्य से पंचों के साथ उनके परिजन को एक साथ पुरी की यात्रा कराते हुए पिकनिक मनाने में खर्च किया जाता है, जिसकी जांच अति आवश्यक है.
चूंकि, यह मूलभूत की राशि आम जनता के मूलभूत सुविधाओं के लिए है, मगर इसे गांव के पंच परमेश्वर अपना बपौती धन समझ बैठे हैं, जो जनता के साथ अन्याय है.