छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को विश्व स्तर पर मिली पहचान : मुदित कुमार, छत्तीसगढ़ में ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कम करने के लिए हुआ मंथन

रायपुर. छत्तीसगढ़ में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और शमनक्रियाओं के लिए मापन, रिपोर्टिंग और सत्यापन प्रणाली पर राजधानी रायपुर में शनिवार को बहु-स्तरीय शासन-विधि राष्ट्रीय वर्चुअल वार्ता का आयोजन किया गया। यह इस विषय पर प्रथम वर्चुअल आयोजन है। बहुस्तरीय वार्ता का आयोजन आई.सी.एल.ई.आई. (लोकल गवर्नमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट) एवं क्लाइमेट ग्रुप, इंग्लैंड के तत्वावधान में किया गया।
उल्लेखनीय है कि क्लाइमेट फुटप्रिंट प्रोजेक्ट अंतर्गत लोकल गवर्नमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट और क्लाइमेट ग्रुप, राज्य और क्षेत्रीय सरकारों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नजर रखने तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करता है। क्षेत्रीय ग्रीनहाउस गैस इनवेंटरी से स्थानीय नीति निर्माताओं को उत्सर्जन के स्रोत व उत्सर्जन कम करने की रणनीतियों को समझने तथा निर्धारण के लिए लोकल गवर्नमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट एवं क्लाइमेट ग्रुप इसमें तकनीकी परामर्श प्रदान कर रहा है।
क्लाइमेट फुटप्रिंट परियोजना के तहत पर्नामबुको (ब्राजील), छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल (भारत), बाजा कैलिफोर्निया, जलिस्को और युकाटन (मेक्सिको) और क्वाजुलु-नटाल (दक्षिण अफ्रीका) को प्रत्यक्ष सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करती है।
बहुस्तरीय संवाद के प्रथम सत्र में एकीकृत मॉनीटरिंग, रिपोर्टिंग तथा वेरीफिकेशन पर परिचर्चा हुई। केन्द्रीय सरकार में पी.सी.सी.एफ एवं हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स तथा महानिदेशक श्री मुदित कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन बताया कि राज्य के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण संरक्षण और समग्र विकास के लिए राज्य शासन द्वारा नीतियों तथा क्रियान्वयित कार्यक्रमों नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम के बारे में विस्तृत चर्चा की तथा राज्य में सौर ऊर्जा गठबंधन की भी व्याख्या की।
उन्होंने बताया कि नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी योजना को विश्व स्तर पर भी मान्यता मिली है। उन्होंने एम.आर.वी सिस्टम के लिए नीति और कानूनी फ्रेम की आवश्यकता के अलावा उत्पन्न डाटा के सत्यापन के लिए आधारभूत डाटा मानकों की आवश्यकता पर भी बल दिया।
वैज्ञानिकों एवं नेटकॉम, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय परियोजना निदेशक डॉ. जे.आर. भट्ट, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद एवं रीजनल साइंस सेंटर की सुश्री लौरा गामरा, अधिकारी जलवायु डेटा, बॉन सेंटर, जर्मनी, अभिषेक कौशिक, क्षेत्र संयोजक, वैश्विक पर्यावरण अनुसंधान केंद्र, टेरी,
सेसरकोर्रेनो, जलवायु डेटा के प्रमुख, आईसीएलईआई विश्वसचिवालय, एमनीकुमार, उप महासचिव, आईसीएलईआई (दक्षिण एशिया) एवं श्रीनिवास कृष्णस्वामी, संस्थापक ट्रस्टी और सीईओ, वसुधा फाउंडेशन ने वर्चुअल वार्ता में हिस्सा लिया।



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